हिमाचल दस्तक ब्यूरो। सुंदर नगर
पंचायत के पुनर्गठन होने के बाद विपक्ष ने विरोध करना शुरू कर दिया है। सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र में पंचायतों के पुनर्गठन को लेकर विरोध शुरू हो गई है। पूर्व सीपीएस एवं पूर्व विधायक सोहन लाल ठाकुर ने आरोप लगाया कि राजनीति स्वार्थ साधने के लिए लोगों की मांग को दबाया गया है। जिसका क्षेत्र में पूरजोर विरोध शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र दर्जनों प्रतिनिधिमंडल उनसे इस मामले में मिल कर आगामी कार्रवाई की मांग कर रहे है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार के मंडी से संबंधित मुख्यमंत्री द्वारा क्षेत्र के लोगों के हित छोड़ राजनीति स्वार्थ के लिए यह करने की उन्हे उम्मीद नहीं थी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय विधायक औछी राजनीति पर उतर आए है। जनहित में एक दर्जन पंचायतों के पुनर्गठन की मांग को दरकिनार कर मात्र दो पंचायतों का पुनर्गठन किया है। जोकि विधानसभा क्षेत्र की जनता से धोखा है। जबकि मुख्यमंत्री के सराज विधान सभा क्षेत्र में 21 पंचायतें देकर मंडी में ही भेदभाव शुरू कर दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी राजनीतिक दल ने अपना स्वार्थ साधा है और अधिकारियों ने दबाव में आकर जनता की आवाज को दबा दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुंदरनगर निर्वाचन क्षेत्र की पंचायतों की तर्ज पर सुंदरनगर नगर परिषद क्षेत्र के 12 और 13 वार्ड को समाप्त करने की भी साजिश रची गई थी, और इसके लिए 42 प्रस्ताव अधिकारियों को भेजे गए थे। लेकिन जनहित में हमारे विरोध के कारण जिला प्रशासन द्वारा इस साजिश को समाप्त किया गया है।
उन्होंने कहा कि ऐसे ही पंचायतों की राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए ही सुंदरनगर निर्वाचन क्षेत्र की पंचायतों में किया गया है। उन्होंने कहा कि पौड़ाकोठी के अलावा शेगल पंचायत और बंदली पंचायत का किंडऱ पंचायत में विभाजन अपने मतलब को पूरा करने के चक्कर में किया गया है। जबकि डैहर, कांगू और जड़ोल जैसी पंचायतें आबादी के लिहाज से बड़ी है। उन्होंने कहा क प्रेसी पंचायत से इसका एक वार्ड 16 किलोमीटर दूर है, बोबर पंचायत से इसका कंदार वार्ड सड़क मार्ग से करीब 35 किलोमीटर दूर है, सलापड़ पंचायत से इसका खुराहल वार्ड दस किलोमीटर दूर है, सेरीकोठी पंचायत से इसका बोरट वार्ड से पंचायत आने कि लिए तीन घंटे लगते है। ग्रामीणों ने अपने अपने क्षेत्र को लेकर सुविधा जनक रूप से समायोजन कर पंचायतों के गठन की मांग की है। लेकिन ग्रामीणों की मांग को दरकिनार कर अधिकारियों ने नेताओं के दबाव में साजिश रच यह सब किया हुआ है।