वंदना। ऊना:
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर बुधवार को पूरे देश तथा प्रदेशों में हड़ताल व रैलियां निकाली गईं। उसी तर्ज पर जिला ऊना में भी सीआईटीयू जिला कमेटी द्वारा विभिन्न मजदूर संगठनों ने हड़ताल व रैलियों का आयोजन किया। यह सरकार मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, जनविरोधी व युवा विरोधी सरकार है।
संगठनों का कहना है कि सरकार लोगों से किए वायदे पूरे न होने पर लोगों को धर्म के आधार पर जातपात, क्षेत्रवाद के आधार पर बांटकर जनता का ध्यान भटकाना चाहती है। केंद्र सरकार ने बड़ी ही तेजी से मजदूरों के अनेक संघर्षों व कुर्बानियों से बने 44 श्रम कानूनों को बदलकर 4 लेवर कोट का निर्णय लेकर अमल में ला रही है। जिससे तहत मजदूर वर्ग को पूंजीपतियों के गुलाम बनाया जा रहा है। सरकार बड़ी तेजी के साथ सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण करके पूंजीपतियों को कोडिय़ों के भाव बेच रही है।
केंद्र सरकार की नव-उदारवादी नीतियों के चलते आज देश भयंकर मंदी के दौर से गुजर रहा है। पिछले एक साल में 94 लाख मजूदरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। महंगाई चरम सीमा पर है। इस देश व्यापी हड़ताल की मुख्य मांगे है कि राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रति माह दिया जाए, सरकारी कॉन्ट्रेक्ट्र, ठेकेदारी व आऊटसोर्सिस प्रणाली बंद की जाए व समान वेतन, समान काम दिया जाए। वहीं केंद्र व राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों को भरा जाए और 44 श्रमकानूनों को बंद कर नए 4 श्रम संहिताओं में बदलने के मजदूर विरोधी फैसले को बदला जाए।
अप्रेंट्स शिप एक्ट के मजदूर विरोधी फैसले को बदला जाए। मार्च 2018 की फिक्स टर्म रोजगार की अधिसूचना को तुरंत वापिस लिया जाए। इसके अलावा पोस्टल, बैंक, बीमा, बीएसएनएल, रक्षा, बिजली, रेलवे कोयला, बंदरगाहों, एनटीपीसी, एसजेबीएएल व बीएचईएल सहित सार्वजनिक क्षेत्रों का बीनिवेश व निजीकरण बंद किया जाए। वहीं उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार महंगाई को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए। आनाज व खाद्य वस्तुओं में सट्टा बाजार की नीति बंद की जाए। इसके साथ ही पेट्रोल व डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम की जाए और सभी मजदूरों को पेंशन सुविधा दी जाए।
वहीं उन्होंने मांग की कि वर्ष 200& के बाद नियुक्त सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नीति के दायरे में लाया जाए। आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा वर्कर को सरकारी कर्मचारी बनाया जाए तथा पेंशन लाभ दिया जाए और उन्हें भी हरियाणा की तर्ज पर वेतन दिया जाए। इसके साथ ही कामगारों ने मांग की कि मोटर्स व्हीकल एक्ट में परिवहन मजदूर व मालिक विरोधी धाराओं को वापिस लिया जाए। मनरेगा मजदूरों को कम से कम 120 दिन का काम दिया जाए तथा उन्हें न्यूनतम वेतन दिया जाए। इसके अलावा काम मांगने पर रसीद दी जाए।
मनरेगा व निर्माण मजदूरों का संन्ननिर्माण क्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण सरल किया जाए और स्ट्रीट बेंडर्स एक्ट को सख्ती से लागू किया जाए। वहीं रेहड़ी फड़ी, तह बजारी, सट्रीट बेंडर्स के अधिकारों की रक्षा की जाए। सभी मजदूरों को भविष्य निधि से चिकित्सा लाभ दुर्घटना, ग्रेजटी व पेंशन लाभ समाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जाए और भविष्य निधि के पैसों को सट्टा बाजार में न लगाया जाए। औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को कारखाना मालिकों द्वारा आवास सुविधा मुहैया करवाई जाए अन्यथा राज्य सरकार द्वारा आवासीय कॉलोनियों का निर्माण किया जाए।
औद्योगिक मजदूरों को न्यूनतम वेतन अन्य मजदूरों से 40 प्रतिशत अधिक दिया जाए। यूनियन का पंजीकरण सरल कर एक महीने के भीतर किया जाए और सेवाकाल के दौरान मृत कर्मचारियों के आश्रितों को करुणा मुल्क आधार पर बिना शर्त नौकरी दी जाए। इसके अलावा केंद्र सरकार के सभी विभागों में महिला कर्मचारियों को पहले की भांति दो वर्ष की चाइल्डकेयर लीव दी जाए।
हिमाचल प्रदेश मैडीकल रिपरेंजनटेटिव एसोसिएशन की ऊना इकाई द्वारा श्रम संगठनों द्वारा आयोजित देशव्यापी हड़ताल में हिस्सा लिया। जिसमें उन्होंने मांग की कि श्रम कानूनों में बदलाव रोका जाए और दवाईयों पर जीएसटी हटाया जाए। वहीं न्यूनतम वेतन 21 हजार रूपए निर्धारित किया जाए। इसके अलावा इलैक्ट्रानिक उपकरणों के जरिए श्रमिकों की निगरानी बंद की जाए।