हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
विधानसभा में विपक्षी विधायकों के खिलाफ लाए गए कार्रवाई प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कांगे्रस के पास नेतृत्व का संकट है। ऐसा कोई व्यक्ति इनके पास नहीं है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के दायरे में रहकर इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर सके। ये स्थिति दिल्ली में भी है और हिमाचल में भी। इसी कारण कांग्रेस का सफाया हो रहा है। पहले लोकसभा चुनाव हारे, फिर विधानसभा चुनाव हारे और अब पंचायती राज में मुंह की खाई। इस पार्टी में हर कोई पद के लिए लगा है।
सिर्फ खबर बनाने के लिए ओच्छी हरकतें करते हैं। पहले दिन राज्यपाल अभिभाषण अहम होता है। चर्चा के लिए पूरा वक्त मिलता है। आपत्ति है तो चर्चा करो। अभिभाषण पर नियम 67 का प्रस्ताव कौन देता है? जयराम ठाकुर ने कहा- हिम्मत है तो हमसे लडि़ए। इससे पहले जब विष्णुकांत शास्त्री गवर्नर थे तब भी इनके कुछ लोगों ने ये आचरण किया था। बाद में उनके पास जाकर माफी मांगी थी। अब जमीन खिसक गई है। इसकी हालत ये है कि फ्रस्ट्रेशन में अकेले में अपनी बाल नोचते हैं और बाहर आकर फिर ऐसी हरकतें करते हैं, जो आज की है। जयराम ठाकुर ने नेता प्रतिपक्ष को चेताया-जमीन पर रहिये नहीं तो जमीन में गाढ़ देते हैं लोग।
इस कल्चर को यहां नहीं पनपने देंगे। किसी सूरत में नहीं। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि ऐसे आचरण पर जो आपके अधिकार की कार्रवाई है, वो पूरी करें और पुलिस के पास जो कार्रवाई बनती है, वो भी करवाएं। ये राज्यपाल पर सुनियोजित हमला था। ये पहली बार नहीं है कि अभिभाषण पूरा नहीं पढ़ा। परंपरा तो इनकी सरकार में पड़ी थी। उन्होंने ऐसी बातों पर भी हैरानी जताई कि राज्यपाल बिना पढ़े भाग गए।
सीएम ने कहा कि यहां जवाब देने के लिए सरकार सदन में है। जो भी पूछना है सरकार से पूछिए। राज्यपाल एक संवैधानिक व्यवस्था के तहत आते हैं। राजनीतिक लड़ाई लडऩी है तो हमारे से लडि़ए। शिक्षा मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर, वन मंत्री राकेश पठानिया, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री राजिंद्र गर्ग, चीफ व्हिप नरेंद्र बरागटा ने भी कार्रवाई प्रस्ताव के समर्थन में विचार रखे।
राज्यपाल, राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान का महत्व एक : भारद्वाज
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कार्रवाई प्रस्ताव पेश किया और कहा कि ये राज्यपाल पर शारीरिक हमला था। राज्यपाल का सम्मान वैसे ही होना चाहिए जैसे राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का होता है। नियमानुसार उन्हें बीच में टोका नहीं जा सकता। इसलिए इस आचरण पर कार्रवाई होनी चाहिए।
नियम 346 के तहत सदन को रिकॉल किया: परमार
विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने दोबारा सदन चलाते हुए कहा कि विपक्षी दल के विधायकों के कृत्य को देखते हुए उन्होंने नियम 346 के तहत उन्होंने सदन को रिकॉल किया है। ये अधिकार उनके पास है कि विशेष परिस्थितियों को देखते हुए वह सदन दोबारा बुला सकते हैं।