शिमला:
देश में पहली बार कोई आर्मी कैंटोनमेंट बोर्ड भंग होने जा रहा है। कांगड़ा जिले में स्थित योल कैंट पर अब रक्षा मंत्रालय 19 फरवरी को अंतिम फैसला लेगा। बाकी सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई हैं। पिछले सप्ताह दिल्ली में रक्षा मंत्रालय ने इस पर बैठक रखी थी। इसमें सचिव पंचायती राज डॉ. आरएन बत्ता और संयुक्त निदेशक पंचायती राज केवल शर्मा शामिल हुए थे। बैठक में कैंट बोर्ड में आने वाले सरकारी कर्मचारियों को मर्ज करने पर फैसला हुआ।
ये अब संबंधित विभागों में जाएंगे। इस कैंट बोर्ड के दायरे में पांच स्कूल, एक दिव्यांग बच्चों का केंद्र और अस्पताल आदि हैं। ये सभी अब संबंधित विभागों में वापस जाएंगे। अब यहां केवल मिलिट्री स्टेशन होगा। बाकी कैंट एरिया के दायरे में ली गई जमीन को मुक्त कर दिया जाएगा। यह पहले भी निजी मिलकीयत ही थी। इससे इस क्षेत्र में नई पंचायतों का गठन भी होगा। क्योंकि यह क्षेत्र शहरी क्षेत्र से बाहर है। अब इस मसले पर आखिरी फैसला लेने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 19 फरवरी को फिर से बैठक रखी है।
गौरतलब है कि हिमाचल हाईकोर्ट से सबसे पहले इस कैटोंनमेंट बोर्ड को भंग करने पर फैसला आया था। इसका आधार पर पूर्व पंचायती राज निदेशक की वो फील्ड रिपोर्ट थी, जो हाईकोर्ट के ही आदेश पर बनाई गई थी। अब लोग यहां कैंट बोर्ड से मुक्त हो रहे हैं। रक्षा मंत्रालय ने भी पहले की बैठकों में राज्य सरकार को कहा था कि ये देश में पहला कैंटोनमेंट बोर्ड होगा, जो भंग होगा। सेना आमतौर पर बोर्ड भंग करने की पक्षधर नहीं होती।