एजेंसी। नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने वीरवार को कहा कि देश को कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है जिसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह अधिक खतरनाक हो सकती है, खासकर बच्चों के लिए।
इसने ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार किए जाने पर जोर दिया। इसने केंद्र से कहा कि वह अगले आदेशों तक दिल्ली की 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति में कमी न करे तथा समूचे देश की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कवायद को तर्कसंगत बनाना सुनिश्चित करे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि कोविड-19 रोगियों के उपचार के प्रयासों के बावजूद दिल्ली में लोग मर रहे हैं और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अनेक लोगों की मौत प्राणवायु (ऑक्सीजन) की कमी की वजह से हुई है।
न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को स्पष्ट किया कि वह देश की शीर्ष अदालत को दोनों के बीच दोषारोपण का आधार नहीं बनने देगा क्योंकि दोनों सरकार ऑक्सीजन के आवंटन और आपूर्ति के मुद्दे पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा, हमें कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है जिसके कुल मिलाकर अलग मापदंड हो सकते हैं। हमें उसके लिए तैयार रहना होगा। हमने पढ़ा है कि कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि तीसरी लहर अधिक हानिकारक होगी, खासकर बच्चों के लिए।
पीठ ने कहा, हम मानते हैं कि बड़ों की तुलना में बच्चों में बीमारी से उबरने की अधिक क्षमता है, लेकिन हमें यह भी विचार करना होगा कि वे स्वयं अस्पताल नहीं जाएंगे और यदि उनके माता-पिता उन्हें ले जाएंगे तो उनके लिए जोखिम उत्पन्न होगा।
न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा को चेतावनी दी कि देश की शीर्ष संवैधानिक अदालत होने के नाते उच्चतम न्यायालय खुद को आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र नहीं बनने देगा। पीठ ने मेहरा से कहा, हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि यह कोई विरोधात्मक वाद नहीं है।
हम इस अदालत को दोनों सरकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र नहीं बनने देंगे। हम न तो दिल्ली सरकार के खिलाफ और न ही केंद्र सरकार के खिलाफ आरोप लगाने की अनुमति देंगे। हम सब यह चाहते हैं कि हर किसी को सहयोगात्मक तरीके से काम करना चाहिए।