हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
कोरोनाकाल के दौरान लोगों पर दर्ज एफआईआर अब कोर्ट चली गई हैं। हिमाचल सरकार इन मामलों पर फैसला लेने में लेट हो गई। इस कारण अधिकांश जिलाधीशों ने ये मामले कोर्ट भेज दिए। हालांकि उत्तराखंड, यूपी समेत बहुत से राज्य ये मामले वापस ले चुके हैं। हिमाचल में कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान करीब 4000 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हुई थी। इनमें से अधिकांश आईपीसी की धारा 188 और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धाराओं में दर्ज हुए थे।
इन मामलों में शिकायतकर्ता प्रशासनिक अधिकारी हैं। इनमें डीसी, एडीएम, एसडीएम और तहसीलदार आदि शामिल हैं। क्योंकि ये मामले निषेधाज्ञा के उल्लंघन के मामलों के हैं। कई जिलों से भी कहा गया था कि ये केस यदि कोर्ट गए तो पेशियों में प्रशासनिक अधिकारियों को भी जाना पड़ेगा। अभियोजन के दौरान लोग तो तंग होंगे ही। लेकिन सरकार के स्तर पर कोई फैसला न होने पर ये केस अब कोर्ट चले गए हैं।
कांगड़ा जिला ने हाल ही में धारा 188 के उल्लंघन के 155 केस कोर्ट भेजे हैं। बिलासपुर जिला भी करीब 200 मामले कोर्ट में भेज चुका है। यही हाल कई अन्य जिलों का है। अब अभियोजन के दौरान लोगों को इस मामलों की पेशियों के लिए तंग होना पड़ेगा।
हालांकि राज्य सरकार चाहे तो अब भी ये केस खत्म हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए सरकार को पॉलिसी डिसिजन लेना होगा। इसके बाद कोर्ट में केस जाने के बावजूद ये खत्म हो सकते हैं। यदि ये खत्म न हुए तो एक तो लोग तंग होंगे, बल्कि कई मामलों में सजा भी हो सकती है। लेकिन इस सारी प्रक्रिया में प्रशासनिक अधिकारियों को भी कोर्ट में पेश होना होगा।
हर आयोजन से पहलेअब लेनी होगी मंजूरी
- कैबिनेट के फैसले के बाद जारी हुए लिखित आदेश
- 25 से ऑनलाइन मंजूरी के लिए शुरू होगी प्रक्रिया
शिमला। हिमाचल में अब हर तरह के आयोजन से पहले संबंधित एसडीएम से मंजूरी लेना जरूरी होगा। 25 मार्च से आनलाइन मंजूरी की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ये मंजूरी किसी सोशल, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए लेना जरूरी होगा। यानी आगामी नवरात्र के दौरान भी बिना मंजूरी कोई भी कार्यक्रम नहीं होगा। ऐसा करने पर डीसी, एसडीएम, एसपी या डीएसपी सीधे मामला दर्ज कर सकेंगे। इस बारे में रविवार को मुख्य सचिव अनिल खाची की ओर से आदेश जारी हुए हैं।
इन आदेशों में कहा गया है कि हिमाचल में अब नो मास्क-नो सर्विस फॉर्मूला लागू होगा। 23 मार्च के बाद होने वाले मेलों का आयोजन नहीं होगा। किसी भी निजी आयोजन के लिए अब पहले की तरह प्रशासन से मंजूरी लेना जरूरी होगा। इस मंजूरी की सूचना संबंधित शहरी निकाय या पंचायत प्रधान को भी जाएगी। ताकि यदि कोई व्यक्ति मंजूरी मिलने के बाद भी एसओपी की अवहेलना करता है तो इसकी सूचना मिल सके।
सभी तरह के आयोजन या तो 50 फीसदी स्पेस क्षमता या फिर 200 लोगों की संख्या के आधार पर होंगे। यदि धाम या सहभोज का आयोजन करना है तो खाना बनाने और सर्व करने वालों के कोविड टेस्ट जरूरी होंगे। बंद स्थानों पर लंगर पर प्रतिबंध रहेगा। स्थानीय पंचायत या शहरी निकाय के प्रतिनिधि जिला प्रशासन के साथ संपर्क में रहेंगे और किसी भी उल्लंघन की सूचना देंगे। यदि किसी ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस दर्ज होगा।