30 दिन के भीतर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रिपोर्ट देगी यह कमेटी
शिमला :राज्य के सात शहरों की हवा में जहर घुल रहा है। इनमें बद्दी, परवाणू, कालाअंब, पांवटा साहिब, नालागढ़, सुंदरनगर और डमटाल शामिल हैं। इनमें से सुंदरनगर को छोड़ शेष सभी शहर औद्योगिक क्षेत्रों के तहत आते हैं। इस शहरों में आने वाले समय में वाहनों की रजिस्ट्रेशन, औद्योगिक गतिविधियों और भवन निर्माण संबंधी गतिविधियों पर बंदिशें लग सकती हैं।
एनजीटी के आदेश पर राज्य सरकार ने इस शहरों की कैरिंग कैपेसिटी के अध्ययन के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी को 30 दिनों के भीतर इन शहरों की शहरों को साफ सुथरा करने के लिए रिपोर्ट देनी होगी। कमेटी में 10 विभागों के मुखिया सदस्य सचिव हैं, जबकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव इसके नोडल अफसर होंगे। कमेटी को अपनी रिपोर्ट भी पीसीबी को ही देनी है और इनके माध्यम से ये रिपोर्ट एनजीटी में सबमिट होगी।
इस बारे में साइंस एंड टेक्नॉलोजी के सचिव रजनीश की ओर से अधिसूचना जारी हुई हुई। कमेटी के सदस्यों में उद्योग, ग्रामीण विकास, परिवहन, कृषि, शहरी विकास, साइंड एंड टेक्नॉलोजी, टीसीपी और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक और पीडब्ल्यूडी एवं आईपीएच के ईएनसी शामिल किए गए हैं। इस कमेटी से विस्तृत रिपोर्ट लेने का मकसद इन शहरों की हवा में फैले प्रदूषण को कम करना है।
यह करना होगा कमेटी को
कमेटी को इन सात शहरों का फील्ड विजिट कर प्रदूषण से संबंधित डाटा एकत्र करना होगा। सभी सदस्य अपने अपने विभागों से संबंधित डाटा एकत्र करवाने और सूचनाओं के अदान प्रदान में मदद करेंगे। कमेटी वाहनों के प्रदूषण, औद्योगिक एमीशन, जनसंख्या के घनत्व, निर्माण की स्थिति और अन्य संबंधित गतिविधियों का डाटा अध्ययन करेगी। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और इंडोर पोल्यूशन की स्थिति भी परखी जाएगी।
लग सकते हैं कई प्रतिबंध
इन शहरों में भवन निर्माण, वाहनों के पंजीकरण और उद्योगों से निकलने वाले धुएं से संबंधित कुछ प्रतिबंध लग सकते हैं, क्योंकि इन तीनों स्थितियों के अध्ययन के लिए कमेटी को कहा गया है। साथ ही भवन निर्माण की स्थिति पर अलग से टीसीपी से भी डाटा मांगा गया है। हालांकि किसी भी तरह के प्रतिबंध पर फैसला एनजीटी को ही लेना है। एनजीटी ने ये आदेश 20 नवंबर को अपने एक फैसले में दिए थे।