- ओटी में इन्फेक्शन के कारण 4 लोगों की चली गई थी आंखों की रोशनी
- 7 फीसदी ब्याज के साथ राहत राशि और शिकायत शुल्क देना होगा
वरिष्ठ संवाददाता : धर्मशाला
डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा तथा स्वास्थ्य निदेशालय को 6 लाख 47 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वर्ष 2016 में टीएमसी में आंखों का ऑपरेशन करवाने के बाद 4 लोगों की आंखों की रोशनी जाने के मामले में शनिवार को उपभोक्ता आयोग की अदालत ने फैसला सुनाया है। इस मामले में जांच के दौरान पाया गया कि टांडा मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने ऑपरेशन तो ठीक किया था।
टांडा के जिस ऑपरेशन थिएटर में उक्त 4 लोगों के ऑपरेशन हुए थे वहां पहले से ही इन्फेक्शन था। उपकरणों के माध्यम से यह इन्फेक्शन मरीजों की आंखों तक पहुंच गया। इस मामले में जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग कांगड़ा की अदालत के अध्यक्ष हिमांशु मिश्रा, सदस्य नारायण ठाकुर व आरती सूद ने सरकार, हेल्थ सेक्रेटरी, डायरेक्टर हेल्थ एजुकेशन, टांडा मेडिकल कॉलेज प्रशासन और ऑपरेशन थियेटर की सफाई को दवाई उपलब्ध करवाने वाली कंपनी को कसूरवार मानते हुए 6 लाख 47 हजार रुपये 7 प्रतिशत ब्याज दर के साथ जुर्माना भरने के आदेश दिए हैं।
पीडि़तों की ओर से मामले की पैरवी एडवोकेट मदन गोपाल ठाकुर ने की। न्यायालय ने मामले में पीडि़त त्रिलोक चंद, इच्छया देवी और संजीवन शर्मा को एक लाख 35 हजार रुपये वर्ष 2017 से अब तक 7 प्रतिशत ब्याज दर के साथ और 15-15 हजार रुपये शिकायत शुल्क देने के आदेश दिए। वहीं, गीता देवी जिनकी दूसरी आंख में भी 40 प्रतिशत तक संक्रमण फैल गया था, उन्हें 2 लाख 42 हजार रुपये 7 फीसदी ब्याज सहित और एक लाख 15 हजार रुपये अतिरिक्त राहत राशि देने के आदेश दिए हैं। पीडि़तों में त्रिलोक चंद की मृत्यु हो चुकी है जिसके चलते उनकी राशि उनके बेटों को दी जाएगी। पीडि़तों को यह राशि टांडा मेडिकल प्रशासन और स्वास्थ्य निदेशालय देगा।
14 दिसंबर 2016 का है मामला
एडवोकेट मदन गोपाल ठाकुर ने बताया कि 14 दिसंबर 2016 को जिला कांगड़ा के त्रिलोक कुमार निवासी नगरोटा बगवां, गीता देवी निवासी डाडासीबा, इच्छया देवी निवासी सोलहदा और संजीवन शर्मा निवासी जवाली ने मोतियाबिंद के चलते टांडा में अपनी एक-एक आंख का ऑपरेशन करवाया था। इसके बाद इन चारों की आंखों की रोशनी चली गई। टांडा में ऑपरेशन थिएटर में 2 महिला व 1 पुरुष डॉक्टर की टीम थी, जिन्होंने उनकी आंखों का ऑपरेशन किया था। मामले की जांच में पाया गया कि चिकित्सकों ने ऑपरेशन सही तरीके से किया था और मरीजों को दवाइयां भी सही दी थीं। हालांकि ऑपरेशन के दौरान ऑपरेशन थियेटर में एमएसएसए नाम का इन्फेक्शन था। यह इन्फेक्शन ऑपरेशन में उपयोग हुए उपकरणों के माध्यम से मरीजों की आंखों में पहुंच गया था।