अमीर बेदी। पालमपुर : दिल्ली और मुंबई से आए पर्यटक पालमपुर की वादियों में आकर खुली सांस ले रहे हैं। पालमपुर का जखनी मंदिर पर्यटकों को सुकून पहुंचा रहा है। स्वर्ग की अनुभूति दिला रहे इस मंदिर को पर्यटक छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं। दिल्ली की आबोहवा इन दिनों जहां जान लेने पर आतुर हैए वहीं पालमपुर की हसीन वादियों में पहुंचकर पर्यटक गुलजार हो रहे हैं।
सैकड़ों साल पुराना चंदपुर का जखनी माता मंदिर इन दिनों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। हालांकि पर्यटन सीजन नहीं है लेकिन दिल्ली और मुंबई के लोगों की यह मजबूरी बन गई है कि वे अपनी सांसो को बचाने के लिए हिमाचल का रुख करें। उल्लेखनीय हैए दिल्ली और मुंबई में इन दिनों प्रदूषण भरी हवा से जिंदगी पर संकट खड़ा हुआ है। सैकड़ों लोग यहां से पलायन कर रहे हैं। पालमपुर के जख्नी माता मंदिर में भी पर्यटकों ने कुछ ऐसी कहानी ही बताई जिसके चलते उन्हें कुछ समय के लिए धौलाधार की वादियों की और रुख करना पड़ा है।
पहाड़ की अंतिम चोटी पर पहुंच कर पर्यटक ऐसा मान रहे हैं जैसे उन्हें हिमाचल में स्वर्ग मिल गया है। जखनी माता मंदिर का विहंगम दृश्य पर्यटकों को इस कदर आकर्षित कर रहा है जैसे यहां नई जिंदगी पर्यटकों का स्वागत कर रही हो। यहां पहुंची मुंबई की पांच बहनों ने बताया कि वे यहां सुकून लेने पहुंचे हैं। धौलाधार पहाडिय़ों के बीच बने इस भव्य मंदिर के आसपास चित्र खींचने को लालायित पर्यटकों ने कहा कि उन्हें ऐसा मानना पड़ेगा कि हिमाचल किसी स्वर्ग से कम नहीं।
हालांकि जखनी माता मंदिर में दर्जनों लोकल वीडियो एल्बम बनाए जा चुके हैं लेकिन बॉलीवुड की नजर शायद यहां नहीं पड़ी है। डूहग पंचायत में पडऩे वाले इस मंदिर को पंचायत के लोग अपनी आराध्य देवी मानते हैं और वर्तमान में इस मंदिर को भव्य रूप प्रदान किया जा रहा है ताकि बॉलीवुड तक भी इस मंदिर की पहुंच बने। जखनी माता मंदिर प्रधान राजीव कुमार ने मंदिर की जानकारी देते बताया कि वर्तमान में करीब 40 लाख रुपए की लागत से मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया जा रहा है।
प्रधान राजीव ने बताया कि सहारनपुर की नक्काशी की हुई विशेष प्रकार की लकड़ी से मंदिर को आउट लुक दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगजनी की घटना से बचाने के लिए मंदिर में फायर प्रूफ तकनीक भी बरती जाएगी। उल्लेखनीय है मंदिर प्रांगण में पहले पशु बलि दिए जाने की परंपरा थी लेकिन सरकारी आदेशों उपरांत अब फिलहाल मंदिर में पशु बलि नहीं दी जाती है।