बिलासपुर में डॉ. संदीपा शर्मा ने सबसे पहले अपनी बेटी पर आजमाई विधि
अब कई रोगियों को मिल रही गंभीर बीमारियों से निजात
मनुष्य के शरीर में रक्त संचार को ठीक करती है जोंक
हिमाचल दस्तक, सतीश शर्मा। बिलासपुर
जिला आयुर्वेद चिकित्सालय बिलासपुर में लीच (जोंक) थैरेपी से कई गंभीर रोगों का सफल उपचार किया जा रहा है। प्रदेश में संभवत: पहली बार जलोका विधि से उपचार आरंभ हुआ है और करीब आधा दर्जन मरीज अपनी वर्षों पुरानी बीमारियों से निजात पा रहे हैं। इस विधि से पानी में पाई जाने वाली जोंक रोगी के शरीर में किसी भी भाग पर जमे गंदे रक्त को चूस कर बाहर निकालती है और कुछ ही समय में रोगी का रक्त संचार सही हो जाता है।
भारत की प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में जटिल और असाध्य रोगों को जड़ से समाप्त करने की क्षमता है और इसके लिए अनेक विधियां मौजूद हैं, जिन्हें ऋषि-मुनियों के समय से अपनाया जाता रहा है। हालांकि प्रदेश में अभी तक इस विधि से उपचार आरंभ नहीं हुआ था, लेकिन आयुर्वेदिक अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत डॉ. संदीपा शर्मा ने जलोका विधि को सर्वप्रथम अपनी बेटी पर आजमाने के बाद अन्य रोगियों का उपचार शुरू किया है, जिससे रोगियों को लाभ मिल रहा है।
डॉ. संदीपा शर्मा की बेटी की जांघ की हड्डी बढऩे के बाद ऑपरेशन किया गया, लेकिन ऑपरेशन के बाद उस स्थान का मांस काफी बढ़ गया था, जो ठीक नहीं हो रहा था। डॉ. संदीपा ने जलोका विधि का प्रशिक्षण लिया था और उन्होंने इस विधि को सबसे पहले अपनी बेटी पर आजमाया। जलोका विधि यानी लीच थैरेपी से जांघ पर बढ़े हुए मांस का गंदा खून निकाला गया और कुछ ही दिनों में न केवल बढ़ा हुआ मांस बराबर हो गया, बल्कि उस स्थान से ऑपरेशन के घाव का निशान भी गायब हो गया। उसके बाद डॉ. संदीपा शर्मा ने इस विधि को अन्य रोगियों पर भी आजमाया और अब वह रोगी कई बीमारियों से निजात पा रहे हैं।
क्या होती है जोंक
लीच यानी जोंक पानी में पाया जाने वाला एक जीव है जो जोहड़ या तालाब में पानी पीते वक्त पशुओं के नाक में घुस जाता है और नाक से उनका रक्त चूसना शुरू करता है। पशु के नाक में जोंक होने से पशु बेचैन रहता है। उसके नाक से जोंक बाहर निकालने के लिए उसे नमक खिला कर कई घंटों तक प्यासा रखा जाता है और जब पशु पानी पीने लगता है तो जोंक भी पानी पीने के लिए पशु के नाक से बाहर की ओर निकलती है और तब पशु मालिक उस जोंक को हाथ से पकड़ कर बाहर खींच लेते हैं, जिससे पशु राहत महसूस करता है। यही जोंक मनुष्य के कई गंभीर रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक सिद्ध होती है।