- 37 कॉलम का प्रपत्र भेज मांगी डिटेल, सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों की मांगी जानकारी
- शिक्षा विभाग का फरमान : हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने जताया ऐतराज
हिमाचल दस्तक : ब्यूरो। धर्मशाला : शिक्षा विभाग ने प्रदेश के ब्लॉक प्रोजेक्ट ऑफिसर कम प्रिंसिपल को सात दिन में 5 साल की वर्दी व किताबों का हिसाब देने का फरमान जारी किया है।
शिक्षा निदेशालय की ओर से सरकार की योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स की जानकारी मांगी है, जिसके लिए विभाग द्वारा 37 कॉलम का परफोर्मा स्कूलों को भेजा गया है। एक ओर जहां विभाग ने वांछित जानकारी के लिए एक सप्ताह का समय निर्धारित है। वहीं हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने इस पर ऐतराज जताते हुए निदेशालय को इस तरह के काम स्वयं करने की नसीहत दी है।
जानकारी के अनुसार निदेशालय द्वारा जो डाटा माँगा गया है, उसे तैयार करने में सात से दस दिन का समय लगना लाजिमी है, ऐसे में विभाग द्वारा सात दिन का समय देना गलत है। वहीं इस कार्य को पूरा करने के चलते स्कूलों में पढ़ाई भी बाधित होगी। हालांकि स्कूलों द्वारा इस तरह की जानकारी भेजी जाती है, लेकिन ऐसे रिकॉर्ड को संभालने के बजाय हर वर्ष स्कूलों पर जानकारी भेजने की जिम्मेदारी डाल दी जाती है।
यह जानकारी प्रतिवर्ष स्कूलों से भेजी जाती हैं। शिक्षा विभाग से आग्रह है कि वह बच्चों की पढ़ाई बाधित न करे व पुराना रिकार्ड ढूंढ कर खुद इस जानकारी को जुटाए या फिर स्कूल में तैनात लिपिक के माध्यम से ये जानकारी जुटाए अन्यथा अध्यापक संघ को संघर्ष की राह अपनानी होगी। -वीरेंद्र चौहान, प्रदेशाध्यक्ष हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ
ब्लॉक प्रोजेक्ट ऑफिसर कम प्रिंसिपल को प्रदेश सरकार की योजनाओं से लाभ प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स की डिटेल मांगी गई है, जिसके 37 कॉलम में बच्चों सहित उनके माता-पिता की पूर्ण जानकारी देनी होगी। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया है, निर्धारित समय में वांछित जानकारी भेजना अनिवार्य है।
-गुरदेव सिंह, उपनिदेशक उच्च शिक्षा जिला कांगड़ा
विभाग के पास उपलब्ध रहता है 75 फीसदी रिकार्ड
शिक्षा विभाग द्वारा डाक के माध्यम से मांगा गया 75 फीसदी रिकार्ड जिला व राज्य में मौजूद रहता है। इसके बावजूद विभागीय कर्मचारी रिकार्ड खंगालने के बजाय सीधे निर्देश स्कूलों को जारी करवा देते हैं, जबकि कई स्कूलों में गैर शिक्षक कर्मचारी न होने की वजह से शिक्षक इन कार्यों में लगे रहते हैं और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है।
वर्तमान में दिए गए प्रपत्र में 37 कॉलम प्रत्येक बच्चे के हैं जो लगातार पिछले 5 साल से भरे जाने हैं। ऐसे में अगर प्रतिवर्ष कक्षा 9वीं व 10वीं में 100 बच्चे हों तो पांच साल में उनके 500 से गुणा करके 18000 एंट्रीज होंगी। इसमें बच्चों के मां बाप के मनरेगा कार्ड से लेकर आधार नंबर संबंधी जानकारियां भी दर्ज की जानी हैं।