मुंबई (भाषा) : उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार ने राज्य विधानसभा में शनिवार को विश्वासमत हासिल कर लिया।
राज्य की 288 सदस्ईय विधानसभा में विधायकों की गिनती शुरू होने से पहले भाजपा अपने 105 विधायकों के साथ वाकआउट कर गई।
पार्टी ने कहा कि मंत्रियों को शपथ ग्रहण कराए जाने के गैर कानूनी तरीके और जिस तरीके से सदन का सत्र बुलाया गया, उसके खिलाफ यह बहिष्कार किया गया। कुल 169 विधायकों ने विश्वासमत के समर्थन में वोट डाला। विश्वासमत प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने पेश किया, जिसका राकांपा और शिवसेना के सदस्यों ने समर्थन किया। विधानसभा के अस्थाई अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) दिलीप वाल्से पाटिल ने सदन को बताया कि चार विधायकों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
इन विधायकों में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) से दो विधायक, माकपा के एक विधायक और उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे नीत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का एक विधायक शामिल हैं। भाजपा ने दावा किया कि शक्ति परीक्षण से पहले विधानसभा में कामकाज किया जाना संवैधानिक नियमों का उल्लंघन है और पार्टी ने सदन से वाकआउट किया। पार्टी ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के समक्ष उठाएगी।
भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस ने पार्टी के विधायक कालिदास कोलाम्बकर को हटा कर राकांपा के दिलीप वाल्से पाटिल को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने सदन में कहा कि इस तरह का कार्य भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है क्योंकि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन सदन में विश्वास मत हारने को लेकर डरी हुई थी। भाजपा विधायकों के वाकआउट करने के बाद फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, सदन में कामकाज किया जाना संविधान का उल्लंघन है।
सत्र खुद नियमों के मुताबिक नहीं है। उन्होंने कहा, चूंकि सत्र के अंतिम दिन राष्ट्रगान हुआ, इसका मतलब है कि यह (विधानसभा) अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई। फडणवीस ने कहा कि नया सत्र शुरू करने के लिए राज्यपाल के जरिए एक समन जारी कराने की जरूरत थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि ठाकरे और छह मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह नियमों के अनुरूप नहीं हुआ।
फडणवीस ने कहा, किसी ने बालासाहेब ठाकरे का नाम लिया, किसी ने (कांग्रेस प्रमुख) सोनिया (गांधी) जी और (राकांपा प्रमुख शरद) पवार साहेब का नाम लिया। शपथ निर्दिष्ट प्रारूप के अनुरूप नहीं ली गई। सदन में शक्ति परीक्षण प्रोटेम स्पीकर की निगरानी में कराए जाने पर उन्होंने कहा कि यह इसलिए कराया गया कि सरकार एक नियमित स्पीकर के तहत विश्वासमत हारने को लेकर भयभीत थी।
उन्होंने कहा, यही कारण है कि हम वाकआउट कर गए। हम राज्यपाल को पत्र लिख कर यह कहने जा रहे हैं कि संविधान के अनुरूप कार्य नहीं किया गया। जब प्रोटेम स्पीकर ने उद्धव ठाकरे की सरकार के विश्वासमत हासिल करने की घोषणा की, उस वक्त भगवा पगड़ी पहने हुए उद्धव ने सदन के सदस्यों और महाराष्ट्र की जनता का धन्यवाद ज्ञापन किया।
उन्होंने कहा, मुझ पर विश्वास करने के लिए मैं सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूं। मैं राज्य के लोगों को भी धन्यवाद देता हूं। उनके आशीर्वाद के बिना कार्य करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, सदन में आने से पहले कुछ दबाव था क्योंकि मेरे पास सदन में नहीं, बल्कि सिर्फ जमीनी स्तर पर काम करने का अनुभव है। यहां खुद को पाकर मैं सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। उद्धव (59) पहली बार सदन में आए थे। उनके पीछे उनके बेटे आदित्य और शिवसेना के अन्य विधायक बैठे हुए थे।
वे सभी भगवा पगड़ी पहने हुए थे। उन्होंने कहा, आप (भाजपा) उस वक्त हतप्रभ रह गए, जब मैंने छत्रपति शिवाजी (शपथ ग्रहण करते समय) का नाम लिया। मैं बार-बार यह नाम लूंगा। जो अपने माता-पिता का नाम नहीं लेते, उन्हें जीने का कोई अधिकार नहीं। उन्होंने कहा, यह महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है कि आप छत्रपति शिवाजी और माता-पिता का नाम लेना अपराध मानें। गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा 105 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। वहीं, शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी।