राजीव भनोट। ऊना
रामनवमी का पर्व 21 अप्रैल 2021 को मनाया जाएगा। इस दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। इस दिन चैत्र नवरात्र की समाप्ति भी होगी। ज्योतिष शोधार्थी व एस्ट्रोलॉजी एक विज्ञान पुस्तक के लेखक गुरमीत बेदी के अनुसार इस बार रामनवमी पर 5 ग्रहों का बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है।
इस दिन चंद्रमा कर्क राशि में, शनि अपनी ही मकर राशि में, देव गुरु बृहस्पति कुंभ राशि में, सूर्य अपनी उच्च मेष राशि में, बुध व शुक्र भी सूर्य के साथ मेष राशि में और मंगल मिथुन राशि में गोचर कर रहे होंगे।
सूर्य व बुध के एक साथ होने से बहुत ही शुभ बुधादित्य योग होगा। गुरमीत बेदी ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार भगवान राम की राशि कर्क हैं। इस बार रामनवमी के दिन चंद्रमा कर्क राशि में रहेगा। इसलिए रामनवमी के पवित्र दिन पर पैदा हुए बच्चों की कर्क राशि होगी और ग्रहों के इस कंबीनेशन के कारण ऐसे बच्चे जीवन में यश और कीर्ति अर्जित करेंगे।
गुरमीत बेदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में यह मान्यता है कि भगवान राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था इसीलिए इस तिथि को रामनवमी कहा जाता है। ऐसी मान्यता भी है कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने अमर काव्य रामचरितमानस की रचना भी इसी दिन अयोध्या में आरम्भ की थी।
गुरमीत बेदी ने बताया कि रामनवमी पर पंचांग के अनुसार पूजा का मुहूर्त 21 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक बना हुआ है। पूजा मुहूर्त की अवधि 02 घंटे 36 मिनट की है। रामनवमी के दिन विधि पूर्वक भगवान राम की पूजा करने से जीवन में आनी वाली परेशानियां दूर होती हैं और भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है।
करें व्रत और पूजा
रामनवमी के दिन व्रत रखकर भगवान श्रीराम और रामचरितमानस की पूजा करनी चाहिए। श्री राम स्तुति और रामरक्षास्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
भगवान श्रीराम की मूर्ति को शुद्ध पवित्र ताजे जल से स्नान कराकर नवीन वस्त्राभूषणों से सज्जित करें और फिर धूप दीप, आरती, पुष्प, पीला चंदन आदि अर्पित करते हुए भगवान की पूजा करें। भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें।
उन्हें दूध, दही, घी, शहद, चीनी मिलाकर बनाया गया पंचामृत तथा भोग अर्पित करें। भगवान श्रीराम का भजन, पूजन, कीर्तन आदि करने के बाद प्रसाद को पंचामृत सहित श्रद्धालुओं में वितरित करने के बाद व्रत खोलने का विधान है।