राजीव भनोट। ऊना
जिला ऊना में लावारिस पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के लिए ब्लॉक स्तर पर काऊ सेंक्चुअरी बनाई जाए। यह मामला नवनिर्वाचित जिला परिषद सदस्य सतीश शर्मा ने जिला परिषद ऊना की बैठक में प्रभावी ढंग से उठाया। सतीश शर्मा ने बताया कि जिला ऊना में भारी तादाद में बेसहारा पशुधन सड़कों पर घूम रहा है।
इसके चलते अनेकों दुर्घटनाएं हो रही हैं। वहीं खेत-खलिहानों में भी खड़ी फसलों को यह पशु नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि ऊना जिला में पर्याप्त वन क्षेत्र मौजूद है, जिसमें फेंसिंग करके पशुओं के लिए पीने के पानी के तालाब व चारे की व्यवस्था कर गौ अभयारण्य में आसानी में तब्दील किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जिला में गौशालाओं में पशुओं को बंधक बनाकर रखना न्यायोचित्त नहीं है। वहीं कुछ एक गौशालाओं को छोड़ अन्यों में रखे पशुधन को न तो भर पेट चारा व पानी उपलब्ध हो रहा है और न ही उनका उचित रख-रखाव हो रहा है। उन्होंने पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर से इस दिशा में प्रभावी पग उठाने की मांग की है। सतीश शर्मा ने कहा कि जिला परिषद की पहली बैठक में उन्होंने कुछ अन्य मसलों को भी उठाया है, जिसमें कुशल व अकुशल श्रमिकों को कामगार बोर्ड के माध्यम से मिलने वाली सहायता पर स्पष्टीकरण मांगा गया था, लेकिन विभागीय अधिकारियों की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है।
जिला परिषद सदस्य सतीश शर्मा ने कहा है कि कामगार बोर्ड में करोड़ों रुपयों की राशि लेबर सेस के रूप में अनसपेंट पड़ी है, जो कि कामगारों के कल्याण पर खर्च की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण व मजदूर वर्ग से जुड़े कामगारों को मदद के नाम पर इंडक्शन कुकर व साइकिलें बांटना ही पर्याप्त नहीं है।
कामगार बोर्ड के पास पड़े करोड़ों रुपये के बजट का सदुपयोग होना चाहिए व इसके लिए व्यापक योजना बनाई जानी चाहिए, जिसमें उनको सामाजिक सुरक्षा, बीमारी में मदद, बच्चों की पढ़ाई में मदद के लिए भी नियमों में लचीलापन लाकर अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित करना चाहिए। सतीश शर्मा ने जिला परिषद को उपलब्ध बजट व विभिन्न ग्राम पंचायतों में विकास के कार्यों की जानकारी भी बैठक में मांगी।