चंद्रमोहन। ऊना
प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में एसएमसी अध्यापकों को नियमित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। हिमाचल प्रदेश के प्रशिक्षित बेरोजगार अध्यापक संघ ने सरकार के इस फैसले को चुनौती देने का एलान कर डाला है।
उनका तर्क है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद और शिक्षा विभाग द्वारा तय सभी मानकों को पूरा करने के बावजूद वे सालों से रोजगार की बाट जोह रहे हैं, जबकि राजनीतिक पार्टियों द्वारा बैक डोर से शिक्षा विभाग में अध्यापकों के तौर पर रखे गए अपने चहेतों को अब नियमित करने की भी कवायद शुरू कर दी गई है।
सरकार की कवायद के साथ ही बेरोजगार अध्यापकों ने सरकार के इस फैसले को चुनौती देने के लिए सड़क पर उतरने से लेकर उच्चतम न्यायालय तक जाने को भी कमर कस ली है।
संघ की सदस्य दविंदर ने बताया कि यह कहना सरासर गलत है कि सभी एसएमसी अध्यापक कबायली क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। प्रदेश में तैनात 792 एसएमसी स्कूल लेक्चरर में से 582 लेक्चरर गैर कबायली क्षेत्र में तैनात थे। इतना ही नहीं प्रदेश के हर जिले में एसएमसी शिक्षक सेवाएं दे रहे हैं, जिनकी भर्तियां बिना कमीशन, बिना बैचवाइज आधार और बिना किसी रोस्टर के हुई हैं, जबकि लाखों रुपये खर्च करने के बाद शिक्षक बनने का प्रशिक्षण प्राप्त कर बैठे बेरोजगार अध्यापक अभी भी रोजगार मिलने के इंतजार में हैं।
प्रशिक्षित बेरोजगार अध्यापकों ने एलान किया है कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ संघ किसी भी हद तक जाएगा। इस फैसले के खिलाफ जहां प्रशिक्षित बेरोजगार अध्यापक सड़कों तक उतरने को तैयार हैं, वहीं जरूरत पड़ी तो सरकार को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने से भी गुरेज नहीं किया जाएगा।