हिमाचल दस्तक। ऊना
मशरूम उत्पादन के लिए अभी तक अपनाई जा रही परंपरागत विधि को अब ओके-बाय-बाय-टाटा कहने का समय आ गया है। जिला के अग्रणी मशरूम उत्पादक यूसुफ खान ने कई दिनों की मेहनत के बाद मशरूम उत्पादन के लिए तैयार होने वाली मशरूम कंपोस्ट का एक ऐसा विकल्प ढूंढ निकाला है जो महज 24 घंटे के भीतर मशरूम उत्पादन के लिए तैयार रहेगा।
वहीँ मशरूम उत्पादन के लिए परंपरागत विधि के अनुसार तकरीबन 4 से 5 अनिवार्य चीजों की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब उनकी जगह केवल और केवल मात्र एक कंटेंट गेहूं का भूसा लेने वाला है।
मशरूम का इतिहास गवाह है कि आज तक मशरूम की खेती करने के लिए कम से कम 5 चीजों का इस्तेमाल खाद बनाने के लिए होता आ रहा है जिसमें गेहूं का भूसा, मुर्गे की बीट, सप्लीमेंट, यूरिया और जिप्सम आदि का प्रयोग होता रहा है।
वहीँ इस खाद को बनाने के लिए 16 से 18 दिन का लंबा समय भी लगता है जबकि इस नई विधि से महज 24 घंटे के भीतर मशरूम उत्पादन के लिए तैयार किया जा सकता है। इतना ही नहीं यूसुफ खान की इस पहल को विख्यात वैज्ञानिकों ने भी सराहा और उसे मशरूम उत्पादन के लिए बेहद कारगर बताया है।
उधर रिटायर्ड प्रोफेसर डॉक्टर बृजमोहन शर्मा ने भी यूसुफ खान द्वारा नई विधि से तैयार गई इस मशरूम को देखा। उनके अनुसार यह ट्रायल वाकई ही एक आश्चर्यजनक है।
उन्होंने कहा कि आज से पहले ऐसे ही परिणाम देखने को नहीं मिले उनके अनुसार अगर इसको स्टैंडर्डाइज किया गया तो आने वाला समय मशरूम उत्पादन में एक सुनहरा अवसर होगा, जिससे मशरूम की कंपोस्टिंग के लिए बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं पड़ेगी। 16-17 दिनों वाला काम सिर्फ 24 घंटे में हो जाएगा, लेकिन खान मशरूम फार्म एवं ट्रेनिंग सेंटर द्वारा की गई इस रिसर्च में अभी इसके ऊपर काम करना बाकी है, ताकि अनुसंधान को लोगों तक सही तरीके से पहुंचाया जा सके।