चंद्रमोहन। ऊना
ऊना जिला में महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया। ऊना जिला के शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई थी वहीँ जिला ऊना के ऐतिहासिक शिव मंदिरों में हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से आए श्रद्धालुओं ने भी शीश नवाया।
शिवरात्रि के अवसर पर ऊना के साथ लगते पांडव काल में निर्मित बनौड़े महादेव मंदिर में तालाब पर डाला गया झूला पुल श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा और श्रद्धालुओं ने मंदिर में पहुंच कर पूजा-अर्चना कर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त किया। शिवरात्रि के पर्व पर जिला ऊना बम-बम भोले के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान जिला के सैकडों मंदिरों में हजारों की तादाद में भक्तों ने माथा टेका। सुबह से ही जिला के शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमडऩी शुरू हो गई थी।
जिला में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिरों में गुरु द्रोणाचार्य की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध गगरेट के शिवबाड़ी, चताड़ा में बनौड़े महादेव व अर्धनारीश्वर, तलमेहड़ा स्थित सदाशिव ध्यूंसर महादेव और भगवान शिव की 81 फ़ीट ऊंची प्रतिमा वाले महादेव मंदिर कोटला कलां में सुबह से पहले ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं। श्रद्धालुओं ने शिवलिंगों का जलाभिषेक करके पूजा-अर्चना की। शिवजी की पावन पिंडियों को पंचामृत स्नान करवाया गया।
सुप्रसिद्ध बनौड़े महादेव मंदिर कमेटी के अध्यक्ष हर्ष शर्मा ने बताया कि बनौड़े महादेव मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था और महाशिवरात्रि पर्व पर दू-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।
इतिहास के जानकार महेश शारदा ने बताया कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शिवालिक की पहाड़ियों में शिव मंदिरों की स्थापना की थी। उन्हीं में से बनौड़े महादेव मंदिर भी एक है। उन्होंने बताया कि इसी स्थान पर भगवान शंकर अर्धनारीश्वर रूप में भी पिंडी में विराजमान हैं।