राजीव भनोट। ऊना
भारतीय किसान संघ की प्रदेश इकाई ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से हिमाचल प्रदेश को सूखाग्रस्त राज्य घोषित करने तथा रबी फसलों को हुए नुकसान से किसानों को सीधी राहत देने की मांग की है।
मंगलवार को भारतीय किसान संघ ने प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधीशों व खंडों में तहसीलदारों के माध्यम से ज्ञापन पत्र भेजे। ऊना में भारतीय किसान संघ के ऊना के जिला सचिव विशाल पाठक के नेतृत्व में जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा गया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अधिकतर कृषि एवं बागवानी वर्षा पर आधारित होती आ रही है।
सामान्यतः प्रदेश के विभिन्न जिलों में औसतन 1000-1200 मिमी वर्षा के द्वारा जल पूरा वर्ष भू-भाग को मिलता रहता है, लेकिन वर्ष 2020-21 के दौरान सितम्बर, 2020 से मार्च, 2021 तक सामान्य से बहुत कम (48-83 प्रतिशत, औसतन 60 प्रतिशत से कम) वर्षा हुई है। इसके अलावा हिमपात भी बहुत कम हुआ है परिणामस्वरूप सूखे की स्थिति बन चुकी है। इसका असर सीधा रबी की फसलों पर दिख रहा है।
भूमि जल के रिचार्ज न होने के कारण खडों, नालों तथा प्राकृतिक संसाधन भी सूखने लगे हैं। अतः व्यवहारिक एवं संवेदनशील दृष्टिकोण से इन प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षण की आवश्यकता है। जिसमें जल ही जीवन जागरूकता आन्दोलन चलाने की आवश्यकता है। रबी की फसलें जैसे- गेहूं, चना, जौ, मटर, आलू तथा चारे की फसलें इत्यादि को भी भारी नुकसान देखने को मिला है। असिंचित क्षेत्रों में यह प्रभाव 80 प्रतिशत आंका/देखा जा रहा है।
इसमें बहुत से स्थानों पर तो गेहूं की फसल नष्ट हो चुकी है। किसानों ने गेहूं को चारे के रूप में काटना शुरू कर दिया है। एक क्विंटल उत्पादन के स्थान पर 15-20 किलोग्राम गेहूं के उत्पादन की आशा की जा रही है। कृषि विभाग द्वारा एक माह पूर्व अपनी रिपोर्ट में सूखे का प्रभाव जो केवल 30-40 प्रतिशत आंका था, अव 70-80 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
अधिकतर खेती की भूमि असिंचित, छोटी जोत, पहाड़ी क्षेत्र होने एवं अनाज की कम आय वाली फसलों के कारण किसान फसल बीमा योजना के लाभ से वंचित रहते हैं। इस तरह भारतीय किसान संघ ने सरकार से मांग की है कि हिमाचल प्रदेश को सूखाग्रस्त राज्य घोषित किया जाए और रबी फसलों के नुकसान की राहत किसानों को प्रति बीघा जमीन के हिसाब से बैंक द्वारा किसानों के खाते में सीधे दी जाए, जिससे किसानों को कम से कम कृषि आदानों में व्यय राशि राहत के रूप में उपलब्ध हो।