राजीव भनोट/चंद्रमोहन। ऊना
प्रदेश के धर्मशाला क्षेत्र मैक्लोडगंज में शरणार्थियों के रूप में रह रहे तिब्बती समुदाय के एक युवा ने धर्मशाला से दिल्ली तक पैदल मार्च शुरू की है। 12 फरवरी को धर्मशाला से निकले तेंजिंग सूंडु नाम के तिब्बती शरणार्थी ने अपनी इस पैदल यात्रा का उद्देश्य तिब्बत की आजादी की आवाज उठाना और भारत की सुरक्षा को लेकर प्रार्थना करना बताया है।
करीब 1 माह तक चलने वाला यह पैदल मार्च धर्मशाला से शुरू किया, जो कि 10 मार्च को यह दिल्ली में संपन्न होगा। तेंजिंग सुंडु नाम के इस युवा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी तिब्बत की आजादी को लेकर आवाज उठाने का आग्रह किया है। इसी युवा का कहना है कि तिब्बत की आजादी से भारत को काफी लाभ होगा। दोनों राष्ट्र अतीत से ही एक-दूसरे के घनिष्ठ मित्र रहे हैं। ऐसे व्यक्तित्व की आजादी काफी महत्वपूर्ण है।
तेंजिंग ने बताया कि वर्ष 2020 में अमेरिका ने यह माना था कि तिब्बत स्वतंत्र राष्ट्र होता था, जिसे ड्रैगन ने पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ लिया। अमेरिका की तरह ही विश्व के प्रत्येक कोने से यह आवाज उठनी चाहिए। यूरोप समेत अन्य राष्ट्रों को भी तिब्बत के समर्थन में आगे आकर चीन पर तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए दबाव बनाना चाहिए, ताकि तिब्बती भी अपने स्वतंत्र राष्ट्र में जीने का सपना साकार कर सकें।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में गुलाम तिब्बत में रह रहे तिब्बती कई तरह की यातनाओं से गुजर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सभी तिब्बतियों की सुख समृद्धि के लिए आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन भारत के खिलाफ कई प्रकार की गतिविधियां चला रहा है, जिसके प्रति वो लोगों को जागरूक कर रहे है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को चीन नीति में बदलाव करना चाहिए।