देवेंद्र सूद। गगरेट
वैश्विक महामारी कोरोना ने फूलों की खेती करने वाले लोगों को पिछले साल लगे लॉकडाउन ने जो ज़ख्म दिए, उसे अब पॉलीहाउस संचालक सब्जी उत्पादन कर भरने का प्रयास कर रहे हैं।
कोरोना की मार पॉलीहाउ संचालकों पर ऐसी पड़ी कि सब कुछ तहस-नहस हो गया। कड़े संघर्ष के बीच अब एक बार फिर उपमंडल गगरेट के हिमाचल-पंजाब सीमा पर स्थित पॉलीहाउस संचालक अपने फूलों के उत्पादन को छोड़ सब्ज़ी उत्पादन में जुटे हुए हैं।
गगरेट में एक प्रगतिशील व्यवसायी ने 26 एकड़ में पॉलीहाउस लगाकर फूलों का व्यापार शुरू किया था, जो कि हिमाचल के सबसे अधिक उत्पादन वाला पॉलीहाउस बना था। इस पॉलीहाउस से प्रतिदिन 30 हजार फूल बाज़ार के लिए भेजे जाते थे।
प्रदेश के दो मंत्री भी इन पॉलीहाउस को देखने के लिए विशेष रूप से गगरेट आ चुके हैं, लेकिन कोरोना की वजह से फूल बिकना बंद हो गए और फूलों को फैंकना पड़ा। लाखों फूल पॉलीहाउस संचालकों ने नष्ट कर दिए और तमाम पौधे उखाड़ फेंके। पॉलीहाउस संचालकों ने मार्केट का अध्ययन कर जाना कि सब्जी पूरा साल उपयोग हो रही है और लॉकडाउन में इसको लेकर कोई रोक भी नहीं है। अब पॉलीहाउस में टनों के हिसाब से सब्जी उत्पादन कर रहे हैं।
इनमें 3 टन खीरा, 1 टन बैंगन रोज का उत्पादन किया जा रहा है। जल्द ही शिमला मिर्च और तरबूज भी आना शुरू हो जाएगा, क्योंकि उनके पौधे भी तैयार हो रहे हैं। गुलाब की खेती से जुड़ी तमाम चीजों के लिए पूना महाराष्ट्र पर निर्भर होना पड़ता है। वहां पर गुलाब के फूलों की अत्याधुनिक तकनीक और बीज के कारण उद्यान विभाग उन्हीं पर निर्भर है, लेकिन जिस तेजी से ये पॉलीहाउस चर्चा में आया, तो लगा कि जल्द ही उद्यान विभाग हिमाचल के गगरेट में ही आधुनिक बीज व तकनीक विकसित कर लेगा, लेकिन कोविड के कारण इसमें सफलता नहीं मिल पाई।
क्या कहते हैं पॉलीहाउस मालिक मुश्ताक अहमद
गगरेट स्थित पॉलीहाउस मालिक मुश्ताक अहमद ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन में बहुत नुकसान उठाना पड़ा, फिर हमने मार्केट का अध्ययन किया। हमने जाना कि लोग फूलों के बिना तो रह सकते हैं, लेकिन पेट के लिए खाना जरूरी है, ये बात लॉकडाउन में समझ आई। इसके बाद हमने फूल छोड़ कर सब्जियों का व्यापार शुरू कर दिया।