राजीव भनोट। ऊना:
आबकारी एवं कराधान विभाग में पैसेंजर व गुड्स टैक्स के चालान घोटाले में सतर्कता विभाग ने शुक्रवार देर से सायं मैहतपुर स्थित एक साइबर कैफे पर छापा मारा। विजिलेंस विभाग के एएसपी सागर चंद के नेतृत्व में टीम ने इस साइबर कैफे की जांच की। जांच के दौरान कंप्यूटर पर तैयार किए गए कई चालान मिले। कैफे संचालक मोहित से इस बारे पड़ताल की गई। सतर्कता विभाग की टीम ने 21 चालान फर्जी बरामद करने में सफलता प्राप्त की है।
इसकी संख्या जांच के दौरान और बढ़ सकती है। फिलहाल साइबर कैफे के 2 कंप्यूटरों को कब्जे में लेकर आगे की जांच शुरू कर दी है। एएसपी सागर चंद ने बताया कि चालान घोटाले मामले में साइबर कैफे से बरामद किए गए 2 कंप्यूटरों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा ताकि पता चल सके कि इस साइबर कैफे की चालान बनाने में क्या भूमिका है? उन्होंने कहा कि साइबर कैफे से कंप्यूटर बरामद करने के अलावा सतर्कता विभाग की टीम ने आबकारी एवं कराधान विभाग के रिकॉर्ड को भी कब्जे में लिया है, जिसमें कुछ फाइलें व रजिस्टर हैं। इसकी जांच भी चल रही है और कर्मचारियों को भी पूछताछ के लिए तलब किया गया है।
कितने का घोटाला है और किस प्रकार यह अंजाम तक पहुंचा है, यह जांच पूरी होने के बाद ही पता चल पाएगा। आबकारी एवं कराधान विभाग में चालान घोटाले में ऊना जिला के आबकारी एवं कराधान विभाग का पिछले 10 वर्ष का रिकॉर्ड शक के दायरे में है, ऐसे में विजिलेंस की टीम 10 वर्ष के रिकॉर्ड की जांच करेगी और यह जानकारी जुटाई जाएगी कि आखिर प्रदेश सरकार को कितने की चपत फर्जी चालानों से लगाई गई है। आबकारी एवं कराधान विभाग में चालान घोटाले ने कई कर्मचारियों व अधिकारियों के पसीने छुड़ाए हैं। ऐसे में विभाग के कर्मचारियों में भी हड़कंप मचा हुआ है।
सरकारी खजाने में नहीं जा रहा था पूरा पैसा
विजिलेंस विभाग की प्राथमिक जांच में यह तय हो गया है कि फर्जी चालान का धंधा काफी वर्षों से चल रहा है और गुड्स टैक्स का पैसा गाडिय़ों के मालिकों से तो लिया जा रहा था, लेकिन सरकार के खजाने में वह पूरा पैसा नहीं जा रहा था, उसमें से महज कुछ रकम ही चालान को फर्जी बनाकर जमा करवाई जा रही थी।
ऊना में काफी समय से चर्चा में है विभाग
जिला ऊना में आबकारी एवं कराधान विभाग पिछले काफी समय से चर्चा में है इससे पहले शराब का ठेकेदार भी विभाग की देनदारी के देने के न चलते विजिलेंस की राडार पर आया है, जिसमें फर्जी चालान व एफडी तक की जानकारी विजिलेंस विभाग को मिली थी। उस मामले की जांच को भी आगे बढ़ाया जा रहा है।
सरकारी खजाने में नहीं जा रहा था पूरा पैसा विजिलेंस विभाग की प्राथमिक जांच में यह तय हो गया है कि फर्जी चालान का धंधा काफी वर्षों से चल रहा है और गुड्स टैक्स का पैसा गाडिय़ों के मालिकों से तो लिया जा रहा था, लेकिन सरकार के खजाने में वह पूरा पैसा नहीं जा रहा था, उसमें से महज कुछ रकम ही चालान को फर्जी बनाकर जमा करवाई जा रही थी।
ऊना में काफी समय से चर्चा में है विभाग
जिला ऊना में आबकारी एवं कराधान विभाग पिछले काफी समय से चर्चा में है इससे पहले शराब का ठेकेदार भी विभाग की देनदारी के देने के न चलते विजिलेंस की राडार पर आया है, जिसमें फर्जी चालान व एफडी तक की जानकारी विजिलेंस विभाग को मिली थी। उस मामले की जांच को भी आगे बढ़ाया जा रहा है।