हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला
छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर उनके लिए जागे प्यार को क्या कांग्रेस आगामी उपचुनाव में भुनाएगी? ये बड़ा सवाल है। सवाल इसलिए भी क्योंकि वर्तमान में उपचुनाव के लिए दो विकल्प ऐसे हैं, जिनमें वीरभद्र सिंह परिवार का सीधा दखल है। एक है मंडी का लोकसभा चुनाव और दूसरा अर्की का विधानसभा चुनाव। दोनों सीटों पर वीरभद्र परिवार का सीधा दखल रहा है।
मंडी से वीरभद्र सिंह और प्रतिभा सिंह दोनों सांसद रह चुके हैं जबकि अर्की से वीरभद्र सिंह अभी सीटिंग एमएलए थे। ऐसे में आने वाले दिनों में राजनीतिक घटनाएं क्या मोड़ लेती हैं? ये देखना अहम हेगा।
दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल भाजपा की भी कांग्रेस की ओर से खेले जाने वाले इस पैंतरे पर अब नजर है। पार्टी ने चुनाव और संगठन के स्तर पर जो प्रभारी इन चुनाव क्षेत्रों में लगाए हैं, वे लगातार इसकी फीडबैक ले रहे हैं कि विकल्प ए और बी क्या हो सकते हैं? यानी उन्हें भी एहसास है कि सहानुभूति को कांग्रेस भुना सकती है। हालांकि इसमें सबसे अहम वीरभद्र सिंह परिवार की मर्जी और इच्छा पर निर्भर करेगा कि ऐसी स्थिति में क्या वे कोई चुनाव अभी लडऩा चाहेंगे या नहीं?
कांग्रेस में अब वीरभद्र के बाद कौन?
कांग्रेस के भीतर भी अब सबसे बड़ा सवाल ये होगा कि अब वीरभद्र सिंह के बाद कौन? इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि वीरभद्र सिंह के रहते हुए मुख्यमंत्री पद या चुनाव के चेहरे को लेकर कभी कोई सही मायनों में विवाद हुआ ही नहीं। वह निर्विवाद थे, लेकिन अब स्थितियां अचानक बदली हैं।
वर्तमान में जितने विधायक कांग्रेस के पास विधानसभा में हैं, उनकी अपनी राजनीति माइनस वीरभद्र सिंह ज्यादा प्रभावी नहीं है। दूसरा वीरभद्र सिंह के होते हुए उनका डर भी होता था, इसलिए आपसी झगड़े और दावेदारी भी दबी रहती थी। ऐसे में कांग्रेस के लिए भी आने वाला वक्त परीक्षा का है। हालांकि विधानसभा चुनाव को अभी वक्त है और इसमें कुछ प्रयोग किए जा सकते हैं।