- ब्यास, रावी और सतलुज में लगेंगे क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम
- वल्र्ड बैंक ने दी प्रोजेक्ट को मंजूरी दिसंबर तक पूरा हो जाएगा काम
शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल प्रदेश की नदियां कितनी प्रदूषित हैं इसका अब पता चल सकेगा। नदियों में मौजूद पानी की गुणवत्ता को मापने के लिए हिमाचल को एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला है। नेशनल हाइड्रोलॉजी मिशन के तहत मिले इस प्रोजेक्ट को वल्र्ड बैंक की मंजूरी मिल गई है और वल्र्ड बैंक ने इसके लिए अलग से 6 करोड़ रुपये की राशि मंजूर कर दी है। दिसंबर महीने तक प्रदेश में 11 स्थानों पर शहरों के नीचे नदियों में ऑटोमेटिक वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित कर दिए जाएंगे। अभी तक प्रदेश में नदियों में हो रहे प्रदूषण से उसके जल की गुणवत्ता को मापने का कोई प्रावधान नहीं था।
नदियों का जल लगातार गंदा होता जा रहा है और इसका प्रदूषण बढऩे से खतरा भी बढ़ रहा है। ऐसे में इस जल की गुणवत्ता को मापने का प्रयास अब किया जाएगा। राज्य में 11 स्थानों पर ऑटोमेटिक वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किए जाएंगे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गुणवत्ता को मापने के लिए जो 10 पैरामीटर रखे गए हैं उनके अनुसार ही इसकी गुणवत्ता का निर्धारण किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के जल शक्ति विभाग जो नोडल एजेंसी है ने कंपनियों के साथ करार करने को फाइनांशियल बिड
खोली हैं। क्योंकि लक्ष्य रखा गया है कि दिसंबर महीने तक इस काम को अंजाम दिया जाना है, इसलिए तेजी के साथ इसपर काम किया जा रहा है। नेशनल हाइड्रोलॉजी मिशन के तहत प्रदेश के कई दूसरे कार्य भी किए जा रहे हैं लेकिन अब नदियों के जल की गुणवत्ता मापने की बारी है। इससे पता चलेगा कि कौन सी नदी कितनी ज्यादा प्रदूषित है। यह पूरा आंकड़ा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जाएगा जो इसके मुताबिक आगे नदियां को प्रदूषण मुक्त करने के लिए काम करेगा।
इन जगहों पर लगेंगे सिस्टम
प्रदेश में जिन स्थानों पर ऑटोमेटिक क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किए जाने हैं उनमें तीन प्रमुख नदियां हैं जिनमें ब्यास, रावी और सतलुज में ये सिस्टम लगेंगे। वहीं गिरी में भी लगाए जाएंगे। कुल्लू शहर के बिलकुल निचले हिस्से में यह सिस्टम लगेगा जिसमें ब्यास नदी का प्रदूषण पता चलेगा। वहीं मंडी में भी ब्यास नदी पर यह सिस्टम लगाया जाना हे। नादौन में बिलकुल शहर के नीचे यह सिस्टम लगेगा तो वहीं गिरी नदी में भी यह सिस्टम लगाया जाएगा। इसके साथ अश्वनी खड्ड में दो जगहों पर शिमला व सोलन में शहरों के नीचे यह सिस्टम लगेंंगे। चंबा में रावी नदी पर यह सिस्टम लगाया जाएगा वहीं सतलुज में भी लोकेशन देखे गए हैं।
हर तीन घंटे में आएगा डाटा
मंडी में एक डाटा सेंटर बनाया गया है। इस स्टेट डाटा सेंटर में सभी स्थानों से आंकड़े आएंगे। नदियों में लगने वाले ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग सिस्टम से हर तीन घंटे बाद डाटा कलेक्ट होगा जोकि ऑनलाइन आएगा। इसी डाटा को प्रदूषण बोर्ड के साथ साझा किया जाएगा।
नेशनल हाइड्रोलॉजी मिशन के तहत इस प्रोजेक्ट को 6 करोड़ रुपये की राशि मंजूर हुई है। दिसंबर महीने तक इस काम को पूरा करेंगे। उपकरण बाहर से आएंगे जिसमें थोड़ा समय लग सकता है।
– अभिषेक, एक्सईएन, हाइड्रोलॉजी
जल शक्ति विभाग।