- मुख्यातिथि बन राजनीति चमकाने में नेताओं के साथ समर्थकों में भी होड़
- स्कूल अधिकारियों को झेलनी पड़ रही परेशानी
राजीव शर्मा। बड़सर : प्रदेश के सबसे साक्षर जिला के शिक्षण संस्थानों में वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोहों के मौसम में स्थानीय नेताओं व स्वयं-भू नेताओं में अपनी-अपनी राजनीतिक चौधर को चमकाने की होड़ मची हुई है। ऐसे में शिक्षण संस्थानों के मुखियाओं की सांसें अटकी हुई हैं, क्योंकि जिनको चुनावी राजनीति में बड़सर की जनता ने बाहर का रास्ता दिखाया है। वह नेता और जिनकी घर गांव गली-मौहल्ले तक में भी कोई पूछ-पहचान नहीं है। वह नेता शिक्षण संस्थानों में राजनेता होने का दम भर रहे हैं। यह दीग्गर है कि शिक्षा के नाम पर इनमें से कईयों ने मिडल से पहले ही किनारा कर लिया है और कई दसवीं तक नहीं पहुंच पाए हैं लेकिन शिक्षण संस्थानों में शिक्षाविदों व राजनेताओं की राजसी भूमिका में हैं।
शिक्षण संस्थानों में कांग्रेसी नेताओं से इसलिए किनारा किया जा रहा है कि प्रदेश में उनकी सरकार नहीं है। हालांकि बड़सर में कांग्रेस विधायक ही जीते हैं लेकिन सत्तासीन बीजेपी के नेता कभी संगठन तो कभी सहयोगी संगठन के नाम पर शिक्षण संस्थानों में शॉल, टोपियों से सम्मानित होकर सोशल मीडिया पर सेल्फियों की भरमार मचाए हुए हैं।
इस होड़ में मुख्यातिथि बनने की होड़ में नेताओं के समर्थक भी कम नहीं हैं। वह अपने-अपने नेताओं को मुख्यातिथि बनाने की लॉबिंग में कहीं शिक्षण संस्थानों के मुखियाओं की मिन्नत-मनुहार कर रहे हैं, तो कहीं सत्ता का खौफ दिखाकर डरा रहे हैं कि खबरदार हमारे नेता को मुख्य अतिथि नहीं बनाया तो फिर खैर नहीं।
गौरतलब है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है परंतु बड़सर में कांग्रेस के विधायक इंद्र लखनपाल विधानसभा में बड़सर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ऐसे में सरकारी स्कूलों के वार्षिक समारोह में उन्हें न बुलाकर उन भाजपा नेताओं को बुलाया जा रहा है, जिनकी यथार्थ के धरातल पर अब न जमीन है न आसमान है।
ऐसे नेता वार्षिक समारोह में पहुंच कर सरकार और सत्ता से ज्यादा खुद को महिमामंडित करके शिक्षण संस्थानों के अधिकारियों, कर्मचारियों को अपने डंडे से हांकने का प्रयास कर रहे हैं। कोई अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रहा है और जो उपलब्धियां गिनाने लायक नहीं है वह दूसरे नेताओं की कमियां गिना रहा है। बड़सर में कई गुटों में बंटी भाजपा के नेता अपने-अपने स्तर पर खुद को मुख्यातिथि बनाने के जुगत में विभिन्न हथकंडे अपना रहे हैं।