अष्टमी के दिन देवी के महागौरी स्वरूप की पूजा का विधान है। अष्टमी की पूजा से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मान्यता है कि देवी महागौरी ने कठिन तपस्या से भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाया था। माता महागौरी का वाहन बैल है और इनका मुख्य शस्त्र त्रिशूल है…
मां का ध्यान मंत्र है : श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेतांबर धरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा ॥
इस मंत्र से करें माता महागौरी की पूजा : या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
पूजा करते समय ध्यान देने योग्य बातें
माता दुर्गा की पूजा में दूर्वा, तुलसी और आंवले का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त आक के फूल भी पूजा में प्रयोग नहीं किए जाते हैं। लाल रंग के फूल माता दुर्गा को बेहद प्रिय हैं। अगर हो सके तो पूजा में लाल रंग के फूलों का ही प्रयोग करें।-पूजा में प्रयोग किए जा रहे फूल शुद्ध होने चाहिए। कटे-फटे और खराब स्थिति के फूलों का प्रयोग माता की पूजा के लिए नहीं करना चाहिए।
क्योंकि माता को लाल रंग के फूल पसंद हैं, इसलिए प्रत्येक दिन की पूजा में ताजे लाल रंग के फूल लेने चाहिए। पुराने और बासी फूलों को पूजा में कभी भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे की गई पूजा की शुभता में कमी होती है। लाल फूलों के अलावा चमेली, बेला, केवड़ा, पलाश, चंपा आदि के फूल भी पूजा में लिए जा सकते हैं।
घर में अगर मां दुर्गा की एक से अधिक तस्वीरें या मूर्तियां हैं, तो उनकी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। एक घर में दो से अधिक तस्वीरें या मूर्तियां रखना परिवार के लिए कष्टकारी होता है।देवी की पूजा करते समय सूखे वस्त्र पहनकर ही पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय बाल बंधे होने चाहिए।