अजय सहगल! कांगड़ा
वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में जहां अधिकांश लोग सरकार की बात को मानते हुए इस संक्रमण को हराने के लिए अपने काम धंधों को छोड़कर अपने घरों में बैठ गए हैं वहीं कुछ मनचले गैर जिम्मेदारी का परिचय देते हुए घरों से बाहर निकल कर तफरीह की फिराक में रह कर पुलिस व प्रशासन की मुश्किलों को बढ़ा रहे हैं परंतु बिलकुल इसके विपरीत कोरोना कर्फ्यू के नियमों का पालन करते हुए कांगड़ा के उपनगर पुराना कांगड़ा के कुछ लोग जिनमे अधिकतर युवा वर्ग शामिल है अपने क्षेत्र की साफ़ सफाई की व्यवस्था में जुटे हुए हैं।
इस अभियान को सफल बनाने में जुटे हुए सतीश चौधरी, अक्षित चांग, अभिषेक, अशोक कुमार, विनोद कुमार, आयुष चौधरी, साहिल, रिक्षित, हैप्पी का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू में 4 से अधिक लोगों के एक साथ एक स्थान पर एकत्रित होने पर पाबंदी है, जिसे ध्यान में रखते हुए 3-3 के ग्रुप में रोजाना वे लोग क्षेत्र की साफ़ सफाई का अभियान चलाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि पुराना कांगड़ा स्थित चिल्ड्रन पार्क, ओपन एयर जिम, बावडियों और रास्तों की सफाई का अभियान छेड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि वे इस कार्य को करते समय सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का प्रयोग करना, बार बार साबुन से हाथ धोना आदि निर्देशों का पालन करते हुए समय का सदुपयोग कर रहे हैं और शहर की साफ़ सफाई भी बनी हुई है।
सतीश चौधरी का कहना है कि वार्ड नंबर 3 की प्राचीन स्वच्छ पानी की बावड़ी जो कि काफी समय से अनदेखी का शिकार हो रही थी उसे व उसके रास्ते को चरणबद्ध तरीके से रखरखाव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह बावड़ी “डल बावड़ी” के नाम से विख्यात है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों नगर परिषद् कांगड़ा व स्थानीय प्रशासन के ध्यानार्थ कांगड़ा की प्राचीन धरोहरों का मसला लाया गया था जिन्हें सहेजने व् इन्हें बचाने के लिए प्रशासन की ओर से आश्वासन भी प्राप्त हुआ है।
उन्होंने क्षेत्र के युवाओं से आह्वान किया है कि सरकार की ओर देखने के बजाय स्वयं आगे आकर कोरोना नियमों का पालन करते हुए अपने क्षेत्र की सफाई व्यवस्था व प्राचीन धरोहरों के संरक्षण का बीड़ा उठाना चाहिए क्योंकि कांगड़ा जनपद में ऐतिहासिक महत्व की प्राचीन धरोहरों की कोई कमी नहीं है।