शिमला:राज्य में 80 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जिनमें चालू वित्त वर्ष में एक भी बच्चा एडमिट नहीं हुआ। वर्तमान में 6127 स्कूल ऐसे हैं जिनमें 20 से भी कम बच्चे एनरोल हुए हैं। इनमें 4954 प्राइमरी स्कूल, 1092 मिडल स्कूल, 32 हाई स्कूल और 9 सीनियर सेकेंडरी स्कूल भी शामिल हैं।
रमेश धवाला के सवाल के जवाब में ये आंकड़े शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में रखे। धवाला ने पूछा था कि जो स्कूल पूर्व सरकार के समय केवल राजनीतिक लाभ लेने के लिए खोले गए, क्या सरकार उन्हें दूसरे स्कूलों में मर्ज करने का विचार करेगी? जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत कम से कम डेढ़ किलोमीटर से ज्यादा दूर स्कूल नहीं होना चाहिए। लेकिन एक शर्त ये भी है कि कम से कम 25 बच्चे भी होने चाहिए।
ऐसे में 25 से कम बच्चों वाले स्कूलों को मर्ज किया जा सकता है, लेकिन चूंकि सरकार ने अगले साल के बजट में कलस्टर सिस्टम लागू करने का फैसला किया है, तो बजट सत्र के बाद इस बारे में दिशा निर्देश बनाएंगे और इन्हें कलस्टर प्रणाली के साथ ही मर्ज किया जाएगा। ताकि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़े और बच्चों को भी प्रतियोगिता का माहौल मिल सके। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पिछले पांच साल में बहुत से शिक्षण संस्थान केवल राजनीतिक लाभ की मंशा से खोले गए। वर्ष 2013 से 2017 के बीच राज्य में 63 नए कॉलेज खोल दिए गए। इनमें से कइयों में जरूरत के मुताबिक एनरोलमेंट नहीं है।
कुल स्कूल-कॉलेजों का आंकड़ा
प्राइमरी स्कूल 10,716
मिडल स्कूल 2,039
हाई स्कूल 931
सीनियर सेकेंडरी 1,866
डिग्री कॉलेज 138
प्री-प्राइमरी कक्षाओं में आए 50 हजार बच्चे
सरकारी स्कूलों की एनरोलमेंट में सुधार को लेकर पूछे गए अनुपूरक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने इस बारे में एससीईआरटी सोलन से सर्वे करवाया था। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकारी स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू की गईं, जो पहले केवल प्राइवेट स्कूलों में होती थीं। आज 3700 स्कूलों में ये कक्षाएं चल रही हैं और करीब 50 बच्चे इनमें एनरोल हुए हैं।
जगत सिंह नेगी से बहस के बाद हुआ टकराव
किन्नौर से कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने पूर्व सरकार में राजनीतिक आधार पर स्कूल खोलने पर आपत्ति जताई तो शिक्षा मंत्री ने एक मुहावरे का प्रयोग कर लिया, जो विपक्ष के व्यवहार को लेकर था। इसका नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री समेत कई कांग्र्रेस विधायकों ने विरोध किया और सदन में हंगामा शुरू हो गया। फिर मुख्यमंत्री और विस अध्यक्ष के हस्तक्षेप से मसला शांत हुआ।