20 से 30 फीसदी बढ़ गई पेेकेजिंग सामग्री: नरेश चौहान
विशेष संवाददाता। शिमला
जयराम सरकार की नाकामियों की वजह से 4000 करोड़ रुपए का सेब उद्योग संकट में आ गया है। हिमाचल कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष नरेश चौहान ने शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि सेब की पैकेजिंग सामग्री बीते साल की तुलना में 20 से 30 फीसदी तक बढ़ गई है। बीते साल जो कार्टन 55 से 65 रुपए मिल रहा था। इस साल उसके लिए 75 से 80 रुपए देने पड़ रहे है।
उन्होंने कहा कि बीते दो तीन सालों में खाद, बीज और दवाइयों की कीमतों में 50 से 100 फीसदी का इजाफा हुआ है। ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी 50 से 60 फीसदी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि महंगाई की मार राज्य के पौने दो लाख बागवान परिवारों के अलावा सेब ढुलाई करने वाले हजारों ट्रांसपोर्टरों, देशभर में ठेला लगाकर सेब बेचने वाले लाखों परिवारों पर पड़ रही है।
चौहान ने कहा कि बागवान कृषि इनपुट की बढ़ती कीमतों की वजह से परेशान हैं और जयराम सरकार ने सभी को लूट की खुली छूट दे रखी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर किसी की सुनते नहीं और हमारा दुर्भाग्य यह कि बागवानी मंत्री भी ऐसा मिला जिन्हें सेब उद्योग से कुछ लेना देना नहीं है।
नरेश चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेब आयात पर लगने वाला शुल्क बढ़ाने का वायदा किया था जो आठ साल बाद भी पूरा नहीं किया गया। आयात शुल्क बढ़ाना तो दूर अफगानिस्तान के रास्ते कई देशों का सेब बिना इंपोर्ट ड्यूटी के भारत लाया जा रहा है। इससे हिमाचल समेत जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड का सेब उद्योग खतरे में पड़ गया है।
उन्होंनेे कहा कि मंडी मध्यस्थता योजना के तहत बागवानों का करीब 40 करोड़ रुपए की पेमेंट पर सरकारी उपक्रम और हिमफैड कुंडली मारकर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि नया सेब सीजन शुरू हो गया है लेकिन बागवानों को अभी योजना के तहत बीते साल की पेमेंट भी नहीं दी गई है। उन्होंने जल्द बागवानों की बकाया पेमेंट का भुगतान करने की मांग की है।