हिमाचल दस्तक ब्यूरो। बिलासपुर
बिलासपुर की फोरलेन विस्थापित प्रभावित समिति ने केंद्र सरकार द्वारा करवाए जा रहे कीरतपुर-नेरचैक फोरलेन एक्सप्रेस हाईवे का निर्माण करने वाली कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही समिति ने कहा है कि प्रदेश सरकार को सड़क की खुदाई से निकल से रही मिट्टी व पत्थरों पर लाखों रुपये की रायल्टी वसूलनी चाहिए।
यहां पर बैठक को संबोधित करते हुए समिति के प्रधान राम सिंह, वरिष्ठ पदाधिकारी जगतराम शर्मा, बालक राम शर्मा, प्यारेलाल शर्मा, कृष्णु राम, सदाराम शर्मा आदि ने कहा कि इस निर्माण कंपनी की निर्माण नीति बहुत ही सुनियोजित ढंग से चल रही है, क्योंकि निर्माण कंपनी इस समय उन्हीं स्थानों पर काम कर रही है, जहां सड़क बनाना आसान व सुविधाजनक है।
बड़े-बड़े ख़र्चीले व जोखिम भरे कार्यों, सुरंग और पुल निर्माणों को पीछे डाला जा रहा है, जबकि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि जैसे-जैसे सड़क निर्माण में पुल व सुरंगें आ रही हैं, उन पर साथ-साथ कार्य करने के लिए विवश किया जाना चाहिए, ताकि सड़क का अधूरा काम छोड़ कर केवल आसान काम को निपटा कर अथवा कठिन कामों को हाथ में न लेकर पहले भाग गई एक निर्माण कंपनी का इतिहास न दोहराया जा सके।
बैठक मेें समिति ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव में सरकार से मांग की है कि निर्माण कंपनी के बड़े-बड़े लोडेड वाहन द्वारा लोक निर्माण विभाग की सड़कों को तोड़ने अथवा खराब करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जिनकी मरम्मत के लिए निर्माण कंपनी से उपयुक्त राशि वसूली जानी चाहिए, जबकि हिमाचल माइनिंग कानून के अनुसार निर्माण कार्य से निकाले जा रहे लाखों टन पत्थरों और मिट्टी की करोड़ों रुपयों की रायल्टी प्राप्त करके क्षेत्र के विकास पर व्यय की जानी चाहिए।