हिमाचल दस्तक : विजय कुमार: संपादकीय: प्रदेश की खूबसूरत वादियों को निहारने के लिए आने वाले पर्यटक जोश में होश खोकर जान गंवा रहे हैं। वादियों को निहारते समय पर्यटक यहां के खतरों को बिलकुल नजरअंदाज कर देते हैं। नतीजतन अप्रिय घटनाएं घटती हैं। इसी वजह से प्रशासन ने जगह-जगह चेतावनी बोर्ड लगा रखे हैं। बार-बार एडवाइजरी भी जारी की जाती रहती हैं।
मगर पर्यटक चेतावनियों को नजरअंदाज कर देते हैं। प्रदेश की वादियां जितनी हसीन हैं, ये उतनी खतरनाक भी हैं। यहां सावधानी हटी, दुर्घटना घटी की बात सौ फीसदी सच साबित होती है। बिना सावधानी के यहां विचरण मौत का कारण बनता है। प्रदेश में पर्यटकों की मौतें नदी-नालों में उतरने और साहासिक खेलों के दौरान होती हैं। मगर नदी-नालों में उतरने से यहां ज्यादा मौतें होती हैं। कुल्लू के थलौट में हुआ हादसा इसका बड़ा उदाहरण है। इस हादसे में करीब 16 छात्रों की ब्यास नदी में उतने के कारण मौत हो गई थी। वहीं इस कारण इक्का-दुक्का हादसे तो अकसर होते रहते हैं। साहासिक खेलों में भी पर्यटकों की मौतें होती रहती हैं।
इसमें भी लापरवाही बड़ा कारण रहती है। मसलन गलत स्थान चुनने और सुरक्षा मानकों को पूरा न करने के कारण पर्यटकों की मौत होती है। कुल्लू जिले में ब्यास नदी में राफ्टिंग के दौरान पर्यटक की मौत को अभी लोग भूले नहीं थे कि यहीं एक और पर्यटक की पैराग्लाइडिंग के दौरान मौत हो गई। इसका कारण पर्यटक द्वारा सुरक्षा बेल्ट ठीक से न बंधना बताया जा रहा है। साहासिक खेलों के दौरान हुईं इन दोनों मौतों में एक और समानता भी है। ये दोनों पर्यटक हनीमून मनाने यहां आए थे। प्रदेश में पर्यटकों की मौत की ये घटनाएं बेहद दुखद हैं। इन पर अंकुश लगना चाहिए। मगर यह तभी संभव हो पाएगा, जब पर्यटक जोश में होश नहीं खोएंगे।