नितिन भारद्वाज। नगरोटा सूरियां : सात समंदर दूर से आने वाले सैकड़ों विदेशी परिंदों से जहां पौंग झील चहक उठती है वहीं इसकी खूबसूरती भी कई गुना बढ़ जाती है। झील के किनारे इन पक्षियों का बसेरा पर्यटकों के लिए भी बड़ा आकर्षण होता है।
सैकड़ों विदेशी मेहमान हर साल पौंग में आते हैं। लेकिन दुखद ये है कि आजकल झील के किनारों पर इन पक्षियों के अवशेष रोजाना दिख रहे हैं। ये परिंदे झील के आसपास मरे हुए पाए जा रहे हैं। नगरोटा सूरियां के पास चीन और तिब्बत से बड़ी तादाद में वारहैडड नामक पक्षी सैकड़ों की तादाद में यहां पहुंचता है। ये सफेद रंग का होता है और झील के आसपास खेतों में अकसर देखा जाता है। इस वारहैडड के पंख झील के किनारे पड़े हुए दिखाई दे रहे हैं।
पौंग के किनारों पर इस पक्षी के कंकाल भी देखने को मिल रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार रविवार को भी पौग के किनारे बड़ी तादाद में पक्षियों के पंख बिखरे पड़े थे। यहां पर पक्षियों के कंगाल देखकर लगता है कि इन पक्षियों को कोई मार रहा है या फिर जंगली गीदड़ इन पर हमला कर इनको अपना निशाना बना रहा है। कोई दूसरा जंगली पशु भी हमला कर सकता है।
ये पक्षी रात को भी खेतों में बैठते हैं। ये भी हो सकता है कि जंगली गीदड़ इन पर हमला करते हों क्योंकि ये पक्षी पहले जमीन पर धीरे-धीरे दौड़ता है उसके बाद उड़ान भरता है। इन पक्षियों के अवैध शिकार ेस भी इनकार नहीं किया जा सकता। इस समय झील का पानी भी बस्तियों के काफी नजदीक है।
आखिर कैसे मर रहे ये विदेशी मेहमान
अब सवाल ये है कि ये पक्षी कैसे मर रहे हैं। ये किसी बीमारी से मर रहे हैं या फिर कोई इनका शिकार कर रहा है। या फिर ये भी हो सकता है कि कोई जंगली पशु इनको अपना शिकार बना रहा है। झील के किनारों पर बिखरे पंख और कंकाल कई सवाल पैदा कर रहे हैं। वन्य प्राणी विभाग को भी इसका पता लगाना चाहिए।
जांच की जाएगी : डीएफओ
इस बाबत वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ राहुल रोहने से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी। कई बार इन पर जंगली गीदड़ भी हमला कर देते हैं। पूरे इलाके को सर्च किया जाएगा और पता किया जाएगा की इन पक्षियों की मौत कैसे हो रही है। उन्होंने कहा कि हमारा कर्तव्य बनता है कि इन प्रवासी पक्षियों की रक्षा की जाए।