हरीश चौहान। गोहर
गोहर घाटी में करीब 2 माह से बारिश नहीं हो पा रही है जिससे क्षेत्र के किसानों में मायूसी छा गई है। खेत-खलिहान के साथ-साथ नदी-नाले भी सूखने के कगार पर हैं। इतना ही नहीं लगातार चल रहे सूखे से फरवरी मास में ही गर्मी ने दस्तक दे डाली है, जबकि इस बार फरवरी मास में ही अप्रैल मास का अहसास होने लगा है।
लोग बारिश के लिए क्षेत्र के देवी-देवता की शरण में जाने पर मजबूर हो गए हैं। मंडी जिला के गोहर घाटी में लोगों की क्षेत्रीय देवता, देव कमरूनाग के प्रति गहरी आस्था है। नौगढ़ रियासत की रक्षा करने वाले देव कमरूनाग को इंद्र देवता के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में बारिश के लिए लोगों की उम्मीदें मंडी जिला के आराध्य देव कमरूनाग पर ही टिकी हैं। गांव के एक 80 वर्षीय बुजुर्ग का मानना है कि उन्होंने आज से पहले कभी ऐसा सूखा नहीं देखा।
जमीन में नमी नहीं है, जबकि गोहर की ऊपरी वादियां दिसंबर से अप्रैल मास तक बर्फ से ढकी रहती थीं जो कि आज नाम मात्र है। इस बार लोग बारिश के लिए तरस गए हैं। सूखे से क्षेत्र से प्रभावित ग्रामीणों ने देवता कमरूनाग के दरबार में बारिश की गुुहार लगाई है। वहीं लगातार चल रहे सूखे से देवता गूर की शक्ति पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है।
बारिश को लेकर बार-बार देवता के गूर की अग्नि परीक्षा हो रही है जिसमें कई गूरों की गद्दी अब तक छीनी जा चुकी है। बारिश के लिए गूर की अग्नि परीक्षा में देवता कारदार के खानदान जिसे लाठी परिवार की संज्ञा दी गई है, पूर्व में रहे लगभग सभी गूरों को क्रमवार परखा जा रहा है। इस क्रम में जहां कोई गूर देवता को मनाकर सिर्फ एक घंटा ही बारिश दिलाने में कामयाब रहा है जबकि कोई दो घंटे। इस सिलसिले में कई गूरों को तो देवता के मनाने में सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।
महीने भर से चल रही उठापठक के दौरान कई गूरों को अपनी-अपनी गद्दी गंवानी पड़ी है। आज लगभग सभी देव स्थलों से धूप जलाकर बारिश की गुहार लगाई जा रही है लेकिन सब व्यर्थ साबित हो रहा है।
इसी विषय को लेकर क्षेत्र के हीर सिंह ठाकुर ने स्पष्ट किया कि देवता की शक्ति के साथ जबरन खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि देवता के कपाट माघ मास से चैत्र मास तक के लिए बंद रहते हैं और इस दौरान देवता लोग अपना स्थान छोड़ कैलाश पर्वत पर विराज मान होते हैं। ऐसे में देवता से बारिश की उम्मीद नहीं की जा सकती।
वहीं लाठी खानदान से पूर्व में रहे गूर नीलमणी ने बताया कि देवता की नाराजगी से लगभग सभी गूर देव कमरूनाग को मनाने में विफल रहे हैं। उन्होंने सपष्ट किया कि चैत्र के नवरात्रों के दौरान देवता लोग अपने निवास स्थान पर लौटेंगे तभी ही बारिश होनी संभव है।