शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल प्रदेश में सरकार औद्योगिक नीति में संशोधन करने की सोच रही है। यहां निवेश लाने के लिए सरकार ने पूर्व में कई बड़े प्रयास किए हैं जिनको फलीभूत करने के लिए नीति में कुछ जरूरी संशोधन होने संभव हैं। सूत्रों के अनुसार मसौदा सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है और कैबिनेट से इसे मंजूरी दिलाई जाएगी।
पुरानी नीति में सरकार ने एंकर यूनिट्स की जो लिमिट रखी थी वो 200 करोड़ रुपये तक की थी जिसे आगे बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये तक करने की सोची जा रही है ताकि इस व्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा उद्योग यहां पर आ सकें। पहली ग्राउंड ब्रेकिंग के बाद दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी भी हो चुकी है। कई निवेशक यहां निवेश के लिए आने को तैयार हैं जिनको कुछ जरूरी सुविधाएं सरकार देगी। हालांकि वित्तीय मामलों में अब ज्यादा लाभ उद्योगपतियों को नहीं दिया जा सकता है क्योंकि सरकार के वित्तीय हालात अब और ज्यादा खराब हैं जिसपर कर्मचारियों का वेतनमान बड़ा अड़ंगा है। ऐसे में कुछ दूसरी आधारभूत जरूरतों में उद्योगपतियों को राहत देने की सोची जा रही है।
एंकर यूनिट्स की डेफिनेशन को बदला जाएगा और इनको ज्यादा संख्या में लाने के लिए प्रावधान किए जाएंगे। इसके साथ उद्योगों के लिए दिए जाने वाले प्लॉट्स के आवंटन की प्रक्रिया को और सरल व सुलभ बनाने के लिए पॉलिसी में कुछ संशोधन करने का प्रस्ताव है। यहां पर उद्योगपतियों को आसानी से प्लॉट्स मिलें इसके लिए एसआईडीसी भी एक बार फिर से अपनी प्रक्रिया को तेज करेगा। उसके पास जितने प्लॉटस थे वो लगभग बिक चुके हैं। लिहाजा अब क्योंकि काम बढ़ेगा इसलिए सरकार एजेंसी को नए प्लॉट्स विकसित करने के लिए कहा जाएगा।
मध्यम क्षेत्र के इलाकों में भी इंडस्ट्रियल एरिया विकसित करने का बन रहा प्लान
उद्योगपतियों की जरूरत के अनुसार बॉर्डर एरिया ही नहीं बल्कि प्रदेश के मध्यम क्षेत्र के इलाकों में भी नए इंडस्ट्रियल एरिया विकसित करने की तैयारी है। दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में उद्योगपतियों ने कुछ सुझाव सरकार के सामने रखे हैं उन सुझावों को भी नई पॉलिसी में शामिल किया जाएगा।
उद्योग विभाग के पास काफी बड़ा लैंड बैंक मौजूद
उद्योग विभाग के पास काफी बड़ा लैंड बैंक है जिसको निवेशकों के लिए उपलब्ध करवाने पर ध्यान दिया जा रहा है। निवेशकों को ऑनलाइन ही इसकी प्रक्रिया को निपटाने की सुविधा विभाग ने प्रदान की है। पोर्टल पर जाकर इनके लिए आवेदन किया जा सकता है। दस्तावेजों में छूट और राजस्व विभाग से तेजी से मंजूरी दिलाने की प्रक्रिया को संशोधनों में शामिल किया जाएगा। इसके बाद ही सरकार अपने निर्धारित निवेश के टार्गेट को पूरा कर सकेगी।