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ट्रस्ट पीड़ित परिवार को हर महीने राशन करवाएगा उपलब्ध, बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाने को भी तैयार
सुलिंद्र चोपड़ा/राजीव भनोट। ऊना
बीमारी कई बार परिवार को पूरी तरह से तोड़ देती है और आर्थिक स्थिति को भी कमजोर कर देती है। बीमारी लाचार बना देती है और लाइलाज बीमारी हो जाए तो परिवार के लिए पल-पल व्यतीत करना मुश्किल हो जाता है।
ऐसी ही हालत है हरोली विधानसभा क्षेत्र की हीरा पंचायत के लूथरे गांव के वार्ड नंबर 3 के निवासी संजीव कुमार के परिवार की। संजीव पिछले तीन-चार साल से डिप्रेशन में रहे और उसके बाद 2 वर्ष से लगातार कोमा में चल रहे हैं, उनके इलाज के लिए पत्नी मोनिका ने लगातार साहस रखते हुए प्रयास किया और पीजीआई, मैक्स, डीएमसी सहित बड़े-बड़े हॉस्पिटल में 15 लाख के करीब राशि खर्च कर दी, लेकिन पति ठीक नहीं हुए।
संजीव कुमार की हालत लगातार बिगड़ती चली गई, लेकिन पत्नी की देखभाल ने पति की सांसों को जोड़ा हुआ है। आर्थिक तंगी अब पति के इलाज के लिए मोनिका को परेशान कर रही है।
आंखों में दिन में कई बार आंसू लाती मोनिका दिल को मजबूत बनाकर जहां पति की देखभाल कर रही है, वहीं 12वीं में पढ़ रहे बेटे व 9 साल की बेटी का भी ध्यान रख रही है।
पति के इलाज के लिए मोनिका ने जैसे-तैसे कर कोई दिक्कत नहीं आने दी है। मोनिका ने बताया कि उसके सभी परिजनों ने इलाज में यथासंभव मदद की है, लेकिन कोविड-19 ने कारोबार कहीं न कहीं प्रभावित किए हैं इसलिए मदद भी कम हो पा रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से सहारा योजना के तहत तहत कुछ माह पहले 2000 की पेंशन और दूसरी 1500 की पेंशन लगी है। उन्होंने कहा कि दवाइयों और घर की जरूरत के सामान में ही 15 हजार के करीब खर्च हो रहा है और ऑक्सीजन व रेशा की मशीन चलानी पड़ती है जिसके लिए इन्वर्टर लगाना पड़ा है। ऐसे में मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
अब पति की सांसों को बचाने के लिए मोनिका अपनी जमीन बेचने को भी तैयार है, लेकिन विभाग का कहना है कि जमीन पति के नाम है इसलिए वह जमीन नहीं बेच सकती है।
अब हालात ऐसे हैं कि पति के इलाज के लिए आर्थिक तंगी ने उसे पूरी तरह से जकड़ लिया है। अब समाजसेवियों और सरकार से ही मदद की आस बची है।
संजीव के भाई भूषण ने कहा कि सरकार को करीब सवा दो लाख के बिल दिए थे, लेकिन महज 15 हजार ही मदद मिल सकी। अब देखना यह है कि सरकार व समाज से क्या सहयोग मिलता जिससे संजीव का दर्द और मोनिका की परेशानियां कुछ कम हो पाएं।
वहीं इस पीड़ित परिवार की मदद को गुरु का लंगर सेवा समिति ट्रस्ट ने हाथ बढ़ाया है। ट्रस्ट पीड़ित परिवार को हर महीने राशन उपलब्ध करवाएगा और बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाने को भी तैयार है।