सुदर्शन शर्मा : रिवालसर
रिवालसर कस्बे को सीवरेज से जोडऩे के लिए लाई गई पौने नौ करोड़ रुपये की योजना तीन साल बाद भी सुस्त रफ्तार के कारण पूरी नहीं हो पाई है। आज भी यह योजना अधर में लटकी हुई है। सूत्रों के मुताबिक इसके लिए जहां विभाग जिम्मेदार है वहीं पर उतने ही लोग भी जिम्मेदार हैं। यदि रिवालसर झील को प्रदूषण से बचाना है तो सीवरेज अति आवश्यक है। तीन साल पहले लाई गई योजना का कार्य मात्र 70 फीसदी ही पूरा हो पाया है। हालांकि ट्रीटमेंट प्लांट बना लिया गया है। सुस्त रफ्तार से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। रिवालसर झील के आसपास तीन से चार सौ परिवार सीवरेज से जोड़े जाने हैं।
हालांकि उन्होंने खुद के सेफ्टी टैंक अपने घरों के नजदीक बना रखे हैं, लेकिन उनका प्रदूषित पानी सीधे झील में जा रहा है, जिससे रिवालसर झील सबसे प्रदूषित झील बन गई है। विभाग का कहना है कि करीब एक हजार कनेक्शन सीवरेज योजना के तहत दिए जाने हैं। बता दें कि सीवरेज योजना पर करीब पौने नौ करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। इसके लिए सरकार ने पैसा भी मुहैया करवा दिया है। लोगों का जल शक्ति विभाग से कहना है कि योजना को गति दी जाए। अभी तक स्कूल तक ही पाइपे बिछाई गई हैं। केवल ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हुआ है। शहर में सभी जगह पर पाइपें बिछाने का कार्य बाकी है।
झील की परिक्रमा करते समय आ रही दिक्कतें
लोगों झील की परिक्रमा करती बार दिक्कतें आ रही हैं। वहां पर पाइपों के लिए खुदाई की गई है लेकिन कार्य पूरा नहीं हो पाया है। इस कारण परिक्रमा क ी जगह पर पानी रूक रहा है और लोगों को इससे दिक्कतें आ रही हैं।
लग सकता है एक और साल
लोगों का कहना है कि जिस तरह से सीवरेज का कार्य चल रहा है। यही रफ्तार रही तो आने वाले समय में एक साल और योजना को पूरा करे में लग सकता है। लोगों ने जल शक्ति मंत्री से आग्रह किया है कि इस योजना को पूरा करवाने के लिए वह स्वयं अधिकारियों के साथ चर्चा करें और इसे गति देने के लिए पूरी कोशिश करें।