शकील कुरैशी। शिमला
हिमाचल प्रदेश में 15,024 करोड़ रुपये का निवेश कन्फर्म हो गया है। इतने निवेश के लिए विभाग पूरी तरह से तैयार हैं और उन्होंने कंपनियों को देने के लिए एनओसी बना लिए हैं। जितनी भी मंजूरियां चाहिएं वेे मिल चुकी हंै और जमीन का भी प्रबंध हो गया है। इस निवेश से हिमाचल प्रदेश में हजारों लोगों के लिए रोजगार का रास्ता खुलेगा। यह निवेश जहां औद्योगिक क्षेत्र में होने जा रहा है तो वहीं ऊर्जा, पर्यटन, आवास, शहरी विकास, आयुर्वेदा व शिक्षा क्षेत्र में भी होगा। राज्य सरकार इस निवेश को धरातल पर उतारने के लिए लंबे समय से इंतजार कर रही है क्योंकि कोविड की वजह से इसमें सफलता नहीं मिल पाई।
इसके अलावा उपचुनाव भी आड़े आ गए। इस निवेश को सरकार दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में मंजूरी प्रदान करेगी जो 27 दिसंबर को सरकार के चार साल के जश्न के मौके पर होगी। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें आएंगे और हिमाचल में निवेश का और बड़ा रास्ता यहां पर निकल सकेगा। अहम बात है कि सभी विभाग इस निवेश में योगदान दे रहे हैं। उद्योग क्षेत्र की बात करें तो इसके माध्यम से 113 नए यूनिट्स यहां पर स्थापित होंगे। वहीं एमपीपी एंड पावर केे 16 यूनिट दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में आने वाले हैं।
इसके अलावा हिमऊर्जा के 45 नए प्लांट इसमें शामिल होंगे जिसमें छोटे उत्पादक यहां पर निवेश करेंगे। इनके अलावा बात करें तो टूरिज्म के 65 यूनिट्स, आवास क्षेत्र के 4, शहरी विकास के 2, आयूष के 9, उच्च शिक्षा के 10, सूचना प्रोद्योगिकी के 2, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण का एक, हॉर्टीकल्चर का एक और एलिमेंटरी एजूकेशन का एक यूनिट है। कुल 269 यूनिट यहां पर निवेश करेंगे जिनको एनओसी प्रदान की जाएगी।
उद्योग क्षेत्र में 4,995 करोड़ का होगा निवेश
उद्योग क्षेत्र में 4,995 करोड़ का निवेश होगा जबकि एमपीपी एंड पावर में 6159 करोड़, हिमऊर्जा में 1372 करोड़, टूरिज्म में 1747 करोड़, आवास में 275, शहरी विकास में 160 करोड, आयूष में 129 करोड़, उच्च शिक्षा में 140 करोड़, सूचना प्रौद्योगिकी में 34 करोड़, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण में 10 करोड़, हार्टीकल्चर में 1.45 करोड़ तथा एलिमेंटरी शिक्षा में 0.6 करोड़ रुपये की राशि का निवेश प्रस्तावित है। कुल 15,024 करोड़ का निवेश हिमाचल में होगा।
इन्वेस्टर मीट में हुए थे 97 हजार करोड़ के समझौते
इन्वेस्टर मीट के दौरान सरकार ने 97 हजार करोड़ रुपये के आसपास के समझौते किए थे। अभी करोड़ों रुपयों का निवेश और शेष है जिसके लिए सरकार को तेजी के साथ काम करना होगा। उद्योग विभाग कोविड के कारण बड़ा निवेश करवाने में कामयाब नहीं हो सका मगर उसकी ओर से प्रयास तेज कर दिए गए हैं।