ब्राह्मण परिषद की हुई हंगामाखेज बैठक, उठक-बैठक के आसार
हिमाचल दस्तक : उदयबीर पठानिया : जिसका डर था, वही हुआ। धर्मशाला में बीजेपी-कांग्रेस के गद्दी प्रेम की वजह से पंडित समुदाय का आसन हिल गया है। लगातार घमासान का नतीजा यह निकल रहा है कि जल्द ही राजपूतों में भी सिंहासन को लेकर तलवारें निकल सकती हैं।
बुधवार को कांगड़ा में हिमाचल प्रदेश ब्राह्मण कल्याण परिषद की बैठक हुई। बैठक में भाजपा-कांग्रेस की उठक-बैठक विद्वान पंडितों ने करवा दी। आरोप लगाया कि दोनों दल ब्राह्मणों के लिए रूखा रवैया अपना रहे हैं। पर इस आरोप की चपेट में कांग्रेस थोड़ा बच गई और भाजपा के तो परखचे ब्राह्मणों ने उड़ा दिए। वजह था,धर्मशाला में दोनों दलों द्वारा मात्र गद्दी समुदाय को टिकट देना। बीजेपी पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लग गया। जख्म इस कद्र हरा हुआ कि बीजेपी को यह भी याद दिला दिया कि आपने तो आम लोकसभा चुनावों में कांगड़ा जिला में एक भी ब्राह्मण को टिकट के लायक नहीं समझा था।
अब धर्मशाला में हाथ देखने में माहिर पंडितों को अंगूठा दिखा दिया। कांगड़ा में 26 फीसदी ब्राह्मण हैं तो 8 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले गद्दियों को टिकट दे दिया। आखिर हमारा कसूर क्या है? यह आरोप भी जड़ दिया कि अगर ब्राह्मण इन नेताओं के पास जाते हैं, तो भी इनको इंतजार में ही बैठाया जाता है, कोई परवाह नहीं की जाती। मामला यहां तक गरमाने की खबरें हैं कि बैठक में एक सज्जन ने तो धर्मशाला में नोटा का बटन दबाने का ही सुझाव दे डाला।
पर फिर यह आवाज उठी कि नोटा के बजाय आजाद ओबीसी उम्मीदवार को समर्थन दे दिया जाए। खैर, बाद में हिमाचल प्रदेश ब्राह्मण कल्याण परिषद के प्रदेशाध्यक्ष पं. वेद प्रकाश शर्मा ने सबको शांत किया। फैसला हुआ कि 8 अक्तूबर को पुन: बैठक होगी और इसमें यह फैसला लिया जाएगा कि उपचुनाव में आखिर वोट का रुख किस तरफ करना है?
दोस्ती इम्तिहान लेती है
दरअसल, कांगड़ा की सियासत में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सबसे घनिष्ठ मित्र मुनीष शर्मा हैं। मुनीष के पिता वेद पंडित ब्राह्मण समुदाय के बड़े कद वाले नेता हैं। ब्राह्मण नेता के सामने अपनों को साथ लेकर चलने का धर्म है तो साथ ही जयराम ठाकुर के सामने भी संकट उठ खड़ा हो गया है कि वह इस घड़ी में मित्रों और खुद को इस धर्मसंकट से कैसे निकालें? पं. वेद प्रकाश यही कह पाए कि समुदाय की बात सुनना उनका कर्तव्य है। सरकार के आगे वह समुदाय के इस रोष को रखेंगे।
असमंजस में ठाकुर फौज
ब्राह्मणों के बीच हुई हलचल से कांगड़ा के ठाकुरों में भी हलचल पैदा हो गई है। राजपूत कुनबों के बुजुर्ग और जवान भी इस सोच में हैं कि क्या किया जाए? पर बात यहीं अटक रही है कि सीएम तो हमारे जात बिरादर हैं, चलती चक्की में रोड़ा काहे अटकाना? राजपूत सभा के अध्यक्ष ठाकुर कुलदीप सिंह ने यही कह कर मामला फिलवक्त सुलटा दिया कि पार्टियों के अपने-अपने गुणा-भाग होते हैं।