दिनेश कुमार। करसोग
करसोग सिविल अस्पताल में सर्जन के पद पर सेवाएं दे रहे डॉक्टर कमल दत्ता का तबादला होने के बाद रिलीव किया गया है, जिससे करसोग में राजनीति गरमा गई है।
डॉ. कमल दता को पिछले महीने कुल्लू के लिए ट्रांसफर किया गया था। इस पर जनता ने सड़कों पर उतर कर विरोध जताया था, लेकिन लोगों की इच्छा के विरुद्ध सरकार ने करीब एक महीने बाद सर्जन को कार्यभार से रिलीव कर दिया है। इससे अब करसोग में राजनीति गरमा गई है। ब्लॉक कांग्रेस कमेटी सहित युवा कांग्रेस ने सरकार के इस निर्णय की आलोचना की है।
कांग्रेस का कहना है कि सर्जन ने पिछले साल अगस्त में ही ज्वाइन किया था। हैरानी की बात है कि सिविल अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के बाद भी 9 महीने में ही सरकार ने सर्जन को तबादला आदेश थमा दिए हैं। इतने कम समय में अच्छी सेवाएं देकर सर्जन ने लोगों के दिलों में जगह बना दी थी, ऐसे में एकदम से सर्जन की बदली किए जाने से करसोग की जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
करसोग कांग्रेस ने सरकार से तुरन्त प्रभाव से सिविल अस्पताल में सभी विभागों में विशेषज्ञों डॉक्टरों के पद भरे जाने की मांग की है, ताकि लोगों को इलाज के लिए शिमला या मंडी न जाना पड़े।
बता दें कि मंडी जिला से जयराम ठाकुर के मुख्यमंत्री बनने के बाद सरकार ने जुलाई, 2020 में पहली बार करसोग सिविल अस्पताल में एक साथ 5 विभागों रेडियोलॉजिस्ट, सर्जन, गायनी, एनेस्थीसिया व ईएनटी में विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद भरने के आदेश जारी किए थे, लेकिन हैरानी की बात है कि इसमें से तीन विभागों गाइनी, एनेस्थीसिया व ईएनटी विभाग में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने तो ज्वाइन ही नहीं किया। ऐसे में केवल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण कुमार सहित सर्जन कमल दत्ता दो विशेषज्ञों ने ही अगस्त, 2020 में अपना कार्यभार संभाला था।