मुनीष सूद जयसिंहपुर:
उपमंडल के प्लेटा गांव के निवासी वीर चक्र विजेता 78 बर्षीय कैप्टन गोवर्धन सिंह के गांव प्लेटा में आजादी के 73 बर्षों के बाद भी सड़क नहीं पहुंच पाई है । गोवर्धन सिंह को मलाल है कि कई सरकारें आई और गईं लेकिन गांव के लोगों द्वारा जमीन न देने के कारण उनका गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया ।
गोवर्धन सिंह का कहना था कि उनका एक ही सपना है कि उनके जीवनकाल में उनके गांव तक सड़क पहुंच जाए।उनका कहना था कि गांव के लोग सड़क सुविधा चाहते हैं लेकिन कोई जमीन देने को तैयार नहीं है जबकि वो हर वक़्त सड़क को जमीन देने के लिए तैयार बैठे हैं ।
उनका कहना था कि उनकी वीर चक्र को समर्पित प्लेटा गांव के प्रवेश द्वार पर गेट बनाया गया है लेकिन उसकी कोई सुध नहीं ले रहा है । इस पर लगी टाइल्स उखड़ गईं हैं तो उस पर लिखा उनका नाम भी मिट गया है । गोवर्धन सिंह का कहना पहले 15 अगस्त व 26 जनवरी को उन्हें बुलाया जाता था लेकिन पिछले चार सालों से इन कार्यक्रमों का न्यौता कार्यक्रम खत्म होने के हफ्ते बाद मिलता है ।
20 बर्ष की आयु में मिल गया था वीरचक्र
गोवर्धन सिंह का जन्म 10 अक्टूबर 1942 को प्लेटा गांव में शेर सिंह के घर हुआ । 14 बर्ष की आयु में वो बॉयज में भर्ती हुए । 3 बर्ष बाद गोवर्धन सिंह 1 डोगरा में भर्ती हो गए । भर्ती होने के 2 बर्ष बाद वो यूएन की शांति सेना के साथ कांगो में तैनात हुए ।इसी दौरान 13 सितम्बर 1961 को उनकी कम्पनी की एक टुकड़ी ने विद्रोहियों पर धावा बोला ।दोनों तरफ से एक दूसरे पर फायरिंग हो रही थी ।
इसी बीच गोवर्धन सिंह ने देखा कि एक विद्रोही एलएमजी के साथ जबरदस्त फायरिंग कर रहा है और जिसके चलते उनकी कम्पनी को आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है । गोवर्धन सिंह अकेले ही छुपते छुपाते आगे बढ़े और एलएमजी को अपने कब्जे में लेकर विद्रोहियों को मार गिराया ।
इस हमले के दौरान गोवर्धन सिंह भी गम्भीर रूप से घायल हुए लेकिन वीर ने हौंसला नहीं छोड़ा ।उनके अधिकारियों ने उनकी वीरता को देखते हुए उन्हें वीर चक्र देने की बात कही । 1962 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन ने उन्हें ने वीर चक्र से नवाजा था । गोवर्धन सिंह राष्ट्रीय स्तर के बॉक्सर व वॉलीवाल के खिलाड़ी भी रह चुके हैं ।