देवेंद्र सूद। गगरेट
उपमंडल गगरेट में बहने वाली सोमभद्रा नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है। खनन माफिया द्वारा इस नदी का सीना पीले पंजे से छलनी किया जा रहा है, तो वही कुछ उद्योग इस नदी को डंपिंग साईट के तौर पर उपयोग में ला रहे है। स्थानीय लोगों की धर्मिक आस्था का केंद्र यह सोमभद्रा नदी, जिसे लोग स्वां नदी भी कहते है, अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।
जीतपुर बेहड़ी व गगरेट औद्योगिक क्षेत्र में कई उद्योगों द्वारा इस नदी में गंदगी फैंकी जा रही है, जिसके चलते नदी में प्रदूषण का स्तर पहले से कही अधिक बढ़ चुका है। वहीं गगरेट व इसके आसपास के क्षेत्र में सीवरेज टैंकों की सफाई के काम में जुटे लोग भी इन टैंकों की गंदगी स्वां नदी में फैंक रहें हैं।
जीतपुर बेहड़ी औद्योगिक क्षेत्र मे एक निजी थर्मोकोल उद्योग द्वारा थर्मोकोल में प्रयोग होने वाले कच्चे माल के बोरे फैंके गए है। इस फैंके गए कचरे से नदी का बहता हुआ जल प्रदूषित हो रहा है। वैसे ये पहला मामला नहीं है, जब इसका जल गंदा हो रहा है। इस नदी के बहते पानी में उद्योगों द्वारा गंदगी फैंकी जा रही है।
भारतीय दंड सहिंता एवं भारतीय जल प्रदूषण अधिनियम के तहत ये कानूनन जुर्म है, लेकिन हैरानी का विषय ये भी है कि जल को साफ रखने के लिए आजतक क्षेत्र में किसी उद्योग के खिलाफ इस कानून का प्रयोग नहीं किया गया। हालांकि मामला मीडिया में आने के बाद प्रदूषण विभाग ने उद्योग को नोटिस जारी कर दिया है और नदी को साफ करने के निर्देश भी जारी किए है।
सात दिन में यदि उद्योग जवाब नहीं देता है, तो उसके खिलाफ कानूनन कार्रवाई और उद्योग के बिजली पानी काटने के भी निर्देश प्रदूषण विभाग दे सकता है। प्रदूषण कंट्रोल विभाग के एसडीओ प्रवीण धीमान ने बताया कि मामला मीडिया के माध्यम से ध्यान में आया है। इस उद्योग को नोटिस जारी किया जाएगा और सात दिन में इनसे जवाब मांगा जाएगा। उसके बाद आगामी कारवाई भी अमल में लाई जाएगी।