रविंद्र चंदेल। हमीरपुर
वर्ष 2018 में पोस्ट कोड नंबर 663 की नियुक्तियों का रास्ता सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद साफ हो गया है। वर्ष 2018 में प्रदेश सर्विस सिलेक्शन बोर्ड द्वारा जेई इलेक्ट्रिकल की परीक्षाएं हुई थीं, जिनमें करीब 25 से ज्यादा परीक्षार्थियों ने भाग लिया था। इस परीक्षा में 500 परिक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे। उत्तीर्ण परिक्षार्थियों को रिटन टेस्ट के बाद हुए टाइपिंग टेस्ट में हायर डिग्री के बिनाह पर इन परिक्षार्थियों की नियुक्ति रोकी गई थी, जिसका आधार यह बताया गया था कि इस पोस्ट कोड के लिए डिप्लोमाधारक एलिजिबल हैं, डिग्रीधारक एलिजिबल नहीं है।
हायर डिग्री कंडीशन पर बाहर हुए परिक्षार्थियों ने इस मामले को प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसमें फैसला सर्विस सिलेक्शन बोर्ड के हक में आया। उसके बाद परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने इस मामले को फिर से देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसका फैसला 7 अप्रैल 2021 को अभ्यर्थियों के पक्ष में आया है। इधर 18.11.2018 को पोस्ट कोड नं. 695 जूनियर इंजीनियर सिविल के परीक्षार्थी की अब इसी फैसले के बिनाह पर राहत पाने की आस में हैं, क्योंकि जूनियर इंजीनियर सिविल में उत्तीर्ण हुए 385 अभ्यर्थी भी खुद को इसी श्रेणी में मान रहे हैं, जबकि जानकारों का कहना है कि दोनों विभागों के कर्मचारी सर्विस रूल अलग-अलग हैं।
इसलिए पोस्ट कोड 695 को इस मामले में राहत मिलने के आसार कम लग रहे हैं। तीन साल की जद्दोजहद के बाद जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल की नियुक्तियों का रास्ता सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद अब साफ माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट को कमीशन के समक्ष रखा जाएगा। इस मामले में कमीशन के निर्देशानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
-जितेंद्र कंवर, सचिव स्टेट सर्विस
सिलेक्शन बोर्ड