देवेंद्र सूद। गगरेट : जिला ऊना की स्वां नदी व इसकी सहायक खड्डों के तटीकरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत की गई करोड़ों रुपये की परियोजना जिले में विकास की नई ईबारत लिखने में सहायक सिद्ध हो रही है। सोमभद्रा नदी में वर्ष 1988 में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने न सिर्फ हजारों कनाल उपजाऊ भूमि निगल ली थी, बल्कि कई रिहायशी इलाकों में भारी उत्पात मचाने के साथ कई बेशकीमती जानें भी लील ली थीं।
जनता ने जब इस बेलगाम नदी के बेग को बांधने के लिए आवाज उठाई, तो प्रदेश सरकार ने वर्ष 1998 में जिला ऊना के गगरेट विधानसभा क्षेत्र के बडोह गंाव में बाढ़ संरक्षण कार्यालय की स्थापना की, जिसके बाद स्वां नदी तटीकरण का सपना मूर्तरूप लेता दिखाई देने लगा।
106 करोड़ रुपये की लागत से इसके प्रथम चरण में 102.71 करोड़ की लागत से झलेड़ा पुल से लेकर संतोषगढ़ पुल तक करीब 16.67 किलोमीटर तक का तटीकरण कार्य हो पाया। वर्ष 2008 में इसके द्वितीय चरण का कार्य 235.52 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुआ और गगरेट पुल से लेकर झलेड़ा पुल तक करीब 28.34 किलोमीटर का तटीकरण कार्य रिकार्ड समय में पूरा हुआ।
इसके तृतीय चरण में संतोषगढ़ पुल से लेकर पंजाब की सीमा तक के करीब 2.50 किलोमीटर का तटीकरण हुआ। हालांकि जिला ऊना का अधिकांश क्षेत्र स्वां नदी व खड्डों से भरा पड़ा है। चौथे चरण में गगरेट पुल से दौलतपुर पुल तक 11 किलोमीटर व स्वां नदी के साथ इसकी सहायक 55 खड्डों के तटीकरण के लिए 922.485 करोड़ रुपये की देश की सबसे बड़ी तटीकरण योजना को मंजूरी मिली थी।
जिसके तहत अब तक करीब 732.10 करोड़ रूपये का बजट खर्च कर 365 किलोमीटर का तटीकरण कार्य पूरा किया जा चुका है। वही करीब 15 सहायक खडडों में तटीकरण का कार्य युद्वस्तर पर चला हुआ है। इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन के चलते करीब 5690.50 हैक्टेयर भूमि अब तक रिक्लेम की जा चुकी है।
केंद्र 70 व राज्य सरकार ने 30 फीसदी उठाया खर्च
इस परियोजना को पूरा करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के मध्य जो समझौता हुआ, इसके तहत केंद्र सरकार इस चौथे चरण के लिए 70 फीसदी खर्च उपलब्ध करवाया। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में 88 करोड़ 20 लाख 25 जहार 895 रूपये की अंतिम किश्त भी जारी कर दी है। परियोजना का अब तक करीब 76 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है।
किसानों व उद्योगपतियों के लिए बनी वरदान
स्वां नदी तटीकरण परियोजना जिला के विभिन्न किसानों व उद्योगपतियों के लिए सार्थक सिद्व हो रही है। तटबांध से रिक्लेम की गई भूमि पर यहां नए उद्योग स्थापित किए गए तो वही किसान उसी भूमि पर अपनी मेहनत के दम पर नगदी फसले उगाकर करोड़ों की अर्थिक अर्जित कर रहें है। ओयल गांव के विपिन भार्गव बताते है कि वह करीब 45 कनाल भूमि रिक्लेम हुई जिस पर नगदी फसलें उगा कर लाखों कमा रहे है। उन्होंने आलू, मटर व अन्य फसलों से करीब 70 लाख कमाए है।
सड़क सुविधा से वंचित गांवों को मिलेगी सड़क
ग्राम पंचायत अप्पर गगरेट के छठी कक्षा का छात्र मोहमद रफी पुत्र बरयमदीन अब बहुत खुश है। क्योंकि आजादी के बरसों बाद उसके घर के लिए सड़क जो बनने वाली है। ग्राम पंचायत अप्पर गगरेट की खडड में इन दिनों स्वां नदी की सहायक खडड का कार्य चला हुआ है। गगरेट क्षेत्र का यह इलाका सड़क सुविधा से महरूम था।
अब खड्डों के दोनों और चिकनी मिïट्टी का बांध बनाने के साथ इस पर लोहे की तारों के जाल बनाकर पत्थर लगाए जा रहे है। तटबांध लंबे समय तक टिके रहे और इन पर सरलता से आवागमन हो सके इसके लिए इन पर सड़क भी बनाई जाएगी। इस परियोजना को पूरा करने के लिए 31 मार्च 2020 की डेड लाइन रखी गई है।
क्या कहते है अधिकारी
बाढ़ संरक्षण मंडल के अधिशासी अभियंता अविदर चड्डा का कहना है कि इस परियोजना को तय समय सीमा में पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं है। परियोजना समय पर पूरी हो सके इसके लिए जन सहयोग भी अपेक्षित है। अब तक करीब 732.10 करोड़ का बजट खर्च किया जा चुका है। जिला ऊना को बाढ़ के खतरे से पूरी तरह महफूज करने के लिए इंजीनियरिंग का नायाब डिजाइन तैयार कर सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग के बाढ़ संरक्षण मंडल के अधिकारियों ने जो योजना बनाई है, उससे जिले की 5690.50 हैक्टेयर बंजर भूमि फिर से हरी-भरी हो गई है।