- ग्रामीण विकास विभाग ने कर लिया है एक लाख परिवारों का चयन
- कन्वर्जेंस के जरिये सभी विभागों की योजनाएं एक जगह दी जाएंगी
- अंत्योदय मिशन में अब हर पंचायत में 3 तरह से सर्वे करेगा विभाग
हिमाचल दस्तक ब्यूरो। शिमला: गरीबी को दूर करने के लिए पारंपरिक तौर तरीके पीछे छोड़ जयराम सरकार ने नई राह अपनाई है। अब मिशन अंत्योदय के जरिये बीपीएल सूची के एक लाख परिवारों को ऐसी आजीविका देने का फैसला लिया गया है, ताकि ये गरीबी रेखा से बाहर आ सकें। इसके लिए एक लाख परिवारों को ग्रामीण विकास विभाग ने चिह्नित भी कर लिया है।
ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस मिशन को लागू करने के लिए 3 तरह से सर्वे किया जा रहा है। साथ ही कन्वर्जेंस के जरिये सभी विभागों की योजनाएं अब एक जगह ऑफर की जाएंगी। राज्य में वर्तमान में करीब 2.62 लाख परिवार बीपीएल में हैं। इनमें से ही एक लाख परिवारों का चयन हुआ है। राज्य मंत्रिमंडल ने 2 रोज पहले ही इस मिशन को मंजूरी दी है।
इस कार्य के लिए ग्रामीण विकास विभाग एक लाख परिवारों का सर्वेक्षण करेगा और यह जानने के प्रयास करेगा कि क्या ये परिवार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित हो रहे हैं अथवा नहीं? ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ. आरएन बत्ता ने बताया कि इस बारे में विभाग ने काफी डिटेल अध्ययन किया है। इसके बाद ही ड्राफ्ट बनाया गया है। सरकारी योजनाओं की क्रॉस चेकिंग भी इस मिशन के जरिये हो जाएगी।
आजीविका के करीब 10 विकल्प देगा विभाग
मिशन अंत्योदय के तहत ग्रामीण विकास विभाग गरीब परिवारों को टेलर मेड विकल्प देगा। इसके लिए विभागीय कर्मचारी घर-घर का दौरा करेंगे और 3 तरह से सर्वे करेंगे। सर्वे के पहले भाग में ये पता किया जाएगा कि सैचुरेशन ऑफ स्कीम हुई कि नहीं? यानी सरकार की ओर से दी जा रही पेंशन, गैस कनेक्शन, हेल्थ बीमा कार्ड, मकान आदि उस परिवार को मिला कि नहीं? यदि नहीं मिला होगा तो दिलाया जाएगा।
सर्वे के दूसरे हिस्से में उस परिवार की सोशल इकोनॉमिक प्रोफाइल बनाई जाएगी। जमीन कितनी है, पानी लगता है कि नहीं, बच्चे कितने, कहां पढ़ रहे हैं? आदि। इसके बाद थर्ड पार्ट होगा कि वह परिवार आजीविका के लिए क्या चुनता है? इसके लिए करीब 10 विकल्प सामने रखे जाएंगे। ये स्वरोजगार से संबंधित होंगे।
केवल बीपीएल सूची को ही ढोते रहना ठीक नहीं है। गरीब घोषित कर उसे छोड़ देने के बजाय हम गरीबों की आजीविका बढ़ाना चाहते हैं। बीपीएल परिवार को चुनना या न चुनना, ये अधिकार ग्रामसभा के पास ही रहेगा।
-वीरेंद्र कंवर, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री