मस्तराम डलैल : शिमला।
हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के लिए नया वेतनमान खुशियों के बजाय टेंशन दे रहा है। हर तरफ से मिल रही निराशा के बाद अब पे-रूल्स में बदलाव के आसार दिखने लगे हैं। रिवाइज्ड पे-स्केल में अधिकतर कर्मचारियों की रिकवरी होने से ये संभावनाएं बढऩे लगी हैं। अहम है कि सभी कर्मचारियों को एक महीने के भीतर वेतन बढ़ोतरी के दिए गए दो विकल्पों में कोई एक चुनना अनिवार्य होगा। अन्यथा नियमों में किए गए प्रावधानों के अनुसार ऑप्शन न देने पर इसे डीम्ड माना जाएगा। इसके तहत सरकार कर्मचारियों को खुद ऑप्शन देकर रिवाइज्ड स्केल जारी कर देगी। जाहिर है कि नए वेतनमान में उम्मीदों के अनुसार सैलरी में बढ़ोतरी न होने के पीछे कारण अंतरिम राहत है।
हिमाचल की सरकार अपने कर्मचारियों को अब तक 21 फीसदी आईआर (इंटरिम रिलीफ) दे चुकी है। सबसे पहले 1 जनवरी 2016 को 8 फीसदी, 1 अगस्त 2016 को 13 फीसदी तथा 1 अगस्त 2017 को 17 फीसदी आईआर दिया गया था। सरकार ने 1 जुलाई 2018 को 21 फीसदी आईआर कर दिया था। अब रिकवरी की सबसे बड़ी वजह यही मानी जा रही है। हालांकि इसी आईआर के कारण कर्मचारियों को एक जनवरी 2020 से 30 जून, 2021 तक 18 माह का डीए नहीं मिला। इससे पहले 1 जुलाई 2019 को 17 फीसदी डीए दिया गया था। 18 माह की अवधि के डीए का अब एरियर नहीं मिल रहा है।
इतना ही नहीं रिवाइज्ड स्केल में सेंट्रल सर्विसेज अफसरों को 31 फीसदी डीए दिया गया है। इसके मुकाबले प्रदेश के कर्मचारियों को 28 फीसदी डीए मिला है। इस कारण भी प्रदेश के कर्मचारियों को नए वेतनमान में उम्मीदों के अनुसार वित्तीय लाभ नहीं मिल रहे हैं। इसके रहे हैं। इसके चलते कई कर्मचारी अपना ऑप्शन नहीं दे रहे हैं। हालांकि इससे भी बात नहीं बनेगी, क्योंकि ऑप्शन न देने पर सरकार खुद ऑप्शन लागू कर देगी। इन्हीं संभावनाओं के चलते अब एकमात्र उम्मीद पे-रूल्स में बदलाव की दिख रही है।
तीसरे ऑप्शन पर वित्त विभाग ने खूब की कसरत
इससे पहले तीसरे ऑप्शन पर भी वित्त विभाग ने खूब कसरत की है। इस कड़ी में 15 फीसदी वृद्धि के तीसरे विकल्प को खोजने के लिए बाकायदा कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने 10 और 15 फीसदी वृद्धि के विकल्पों पर भी काम कर लिया है। इसमें भी सरकारी खजाने को भारी चपत की रिपोर्टिंग के कारण बात नहीं बन पाई है। बावजूद इसके अंतिम निर्णय राज्य सरकार को लेना है।