हिमाचल दस्तक : विजय कुमार :
कुल्लू के सैंज क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ जो हुआ, वह हादसा मात्र नहीं है। यह ऐसा तुगलकी फरमान था, जिसने एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की ड्यूटी के नाम पर जान ही ले ली है। कहने को तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को वालंटियर कहा जाता है, मगर उनसे ड्यूटी सरकारी कर्मचारियों से भी सख्त ली जाती है। ड्यूटी तक तो बात फिर भी समझ में आ जाती है। मगर ऐसे फरमान जारी कर दिए जाएं, जिससे जान ही चली जाए तो वे सरासर गलत हैं।
ऐसा ही कुछ सैंज क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ हुआ है। उसकी ड्यूटी पल्स पोलियो अभियान के लिए घर से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर लगा दी गई। यह सारा रास्ता दुर्गम था। बर्फबारी ने इसे और भी खतरनाक बना दिया था। बात इतनीभर होती तो भी यह आदेश जान खतरे में डालने वाले ही थे। मगर इंतहा तो यह है कि उसकी ड्यूटी अकेले ही लगाई गई थी।
इस खतरे का आभास उसे हो गया था, तभी तो वह अपने पति के साथ ड्यूटी बजाने जा रही थी। मगर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का पैर बर्फ पर जैसे ही फिसला उसका पति भी उसे नहीं बचा पाया। यह बेहद दुखद मामला है। इसने व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े किए हैं। इस मामले की जांच कर जिम्मेदार अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि फिर कोई अधिकारी ऐसे फरमान जारी न करे।