15 साल पहले एक युवक ने दोनों पर फेंका था एसिड
धर्मचंद वर्मा। मंडी: क्रिमिनल इंजरी कंपनसेशन बोर्ड ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए मंडी की 2 एसिड अटैक पीडि़ताओं को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश पारित किया है। देशभर में एसिड अटैक पीडि़ताओं को इतनी अधिक राशि देने का यह पहला फैसला है।जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से क्रिमिनल इंजरी कंपनसेशन बोर्ड के समक्ष दायर की गई याचिकाओं पर यह निर्णय किया गया है। बोर्ड के अध्यक्ष जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके शर्मा और सदस्यों उपायुक्त मंडी ऋग्वेद ठाकुर, जिला पुलिस अधीक्षक गुरुदेव शर्मा और मुख्य चिकित्सा अधिकारी जीवानंद चौहान ने यह निर्णय देते हुए साल 2005 में मंडी में हुए एसिड अटैक की मुख्य पीडि़ता को पीडि़ता मुआवजा स्कीम के तहत 13 लाख रुपये और सह पीडि़ता को 12 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला दिया है।
बोर्ड के अध्यक्ष आरके शर्मा ने फैसले में गीता के श्लोक ‘नेत्रम प्रधानम सर्वेंदरियम’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मामले की मुख्य पीडि़ता की आंखों को पहुंची क्षति से न केवल उसके हरेक दिन के कार्य प्रभावित हुए हैं बल्कि जीवन की गुणवत्ता और दुनियादारी में अंत:क्रिया की योग्यता भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। चेहरे की बनावट का विघटन व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान और सामाजिक भूमिका तक पहुंच को प्रभावित करता है और शादी अथवा रोजगार जैसी संभावनाओं पर भी प्रतिकूल असर डालता है। इस मामले की मुख्य पीडि़ता इस समय 35 वर्ष की है, जबकि दूसरी पीडि़ता 31 वर्ष की है।
दोनों की अभी तक शादी नहीं हुई है। मुख्य पीडि़ता अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई है और करीब एक साल तक विभिन्न अस्पतालों में उपचाराधीन रही। दूसरी पीडि़ता भी उपचार के कारण लंबे समय तक पढ़ नहीं पाई। उनकी देखभाल के लिए परिजनों ने भारी आर्थिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दबाव झेला है। हालांकि भाग्यवश उनकी जानें बच गईं, लेकिन वे जीवनभर के लिए विरूपित, अंगहीन और आघात में हैं।
मुख्य पीडि़ता 100 फीसदी नेत्रहीन
घटना के बाद से मुख्य पीडि़ता 100 प्रतिशत नेत्रहीन है और अभी तक अविवाहित है। इसके चलते उसके द्वारा अंग खो देने के नुकसान के रूप में 5 लाख रुपये जबकि 8 लाख रुपये चेहरे की विरूपता के रूप में अदा किए जाएंगे। दूसरी पीडि़ता घटना के समय नाबालिग थी। नाबालिग के लिए स्कीम में 50 प्रतिशत ज्यादा मुआवजा निर्धारित है। उसके माथे, नाक और होंठों पर स्थायी चोटों के निशान हैं और वह भी अविवाहित है। ऐसे में बोर्ड ने उसे 12 लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला किया है।
जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने निभाई अहम भूमिका
उल्लेखनीय है कि जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव असलम बेग को शिमला में हुए प्रदेश के पहले एसिड अटैक के मामले में पीडि़ता को मुआवजा दिलाने की जानकारी मिली तो उन्होंने मंडी में 2005 में हुए एसिड अटैक की पीडि़ताओं के बारे में जानकारी एकत्र की। इसमें उन्हें पता चला कि पीडि़ताओं को अभी तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। ऐसे में उन्होंने पीडि़ताओं के परिजनों को संपर्क करके उनकी अर्जी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से क्रिमिनल इंजरी कंपनसेशन बोर्ड के समक्ष दायर करवाई थी।
यह है मामला
27 मई, 2005 को इस मामले की मुख्य पीडि़ता जब बस में बैठकर अपने घर जा रही थी, तो इसी दौरान एक युवक ने बस में चढ़ कर हाथ में ली एसिड की बोतल से मुख्य पीडि़ता पर एसिड फेंक दिया था। इससे मुख्य पीडि़ता, दूसरी पीडि़ता सहित बस में सवार 11 लोग घायल हो गए थे। पीडि़ताओं का इलाज लंबे समय तक अस्पताल में चलता रहा। इस मामले के आरोपी को पुलिस ने हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आरोपी की ओर से उच्च न्यायालय में दायर अपील में भी सजा बरकरार रखी गई थी। आरोपी इस समय उम्रकैद की सजा काट रहा है।