शैलेश सैनी। नाहन
पिछले कुछ दिनों में बद्दी और सिरमौर के कुछ दवा उद्योगों की दवाओं का नशे के लिए मिस यूज को लेकर विभाग की प्रणाली कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाए गए। हालांकि बद्दी के एक उद्योग को छोड़कर कालाअंब और पांवटा साहिब के दोनों उद्योगों पर केवल मार्केटिड बाय को लेकर कोई अन्य गंभीर आरोप सिद्ध नहीं हुआ। बावजूद इसके सरकार के द्वारा जारी अधिसूचना में एडीसी बद्दी गरिमा शर्मा को काला अंब का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा गया है।
गरिमा शर्मा बद्दी के साथ-साथ अब कालाअंब के दवा उद्योगों को भी देखेंगी, जबकि ड्रग डिपार्टमेंट में सबसे काबिल माने जाने वाले सहायक दवा नियंत्रक सनी कौशल को पांवटा साहिब का दायित्व सौंपा गया है।
बड़ी बात तो यह है कि जिला सिरमौर में जिस तरीके से पोंटा साहिब और काला अंब के दो दवा उद्योगों को जांच के दायरे में लाया गया था। दोनों में दवा निर्माण से लेकर जारी रॉ मटेरियल के कोटे में कहीं भी कोई खामी नहीं पाई गई है। यही नहीं काला अंब के कथित दवा उद्योग ने पंजाब हिमाचल की पुलिस ड्रग डिपार्टमेंट सहित नारकोटिक्स क्राइम ब्यूरो की जांच में भी पूरा सहयोग कर सारा रिकॉर्ड सामने रखा था।
हैरान कर देने वाली बात तो यह भी है कि इस दवा इकाई ने दिल्ली की जिस फर्म के लिए दवा बनाई थी वह फार्म भी बाकायदा रजिस्टर्ड है। साथ ही इस फर्म ने दवा निर्माता को बाकायदा किए गए एग्रीमेंट के तहत दवा निर्माण का आदेश दिया था।
चूंकि नई नोटिफिकेशन के साथ मार्च महीने से पहले मार्केटिड बाय को लेकर केवल दवा ऑर्डर करने वाली फर्म का जिम्मा होता था। मात्र ढाई महीनों पहले इंप्लीमेंट हुई नोटिफिकेशन के बाद ऑर्डर करने वाली फर्म के द्वारा डिब्बे पर लिखवाए गई फार्म फर्जी पाई गई थी, जिसको लेकर दवा निर्माता को संदेह के दायरे में रखा गया।
प्राथमिक जांच के दौरान जहां हिमाचल पुलिस ने इस उद्योग पर एफआई आर लॉज करी तो वही ड्रग डिपार्टमेंट ने भी कथित दवा के स्टाक को फ्रीज करते हुए प्रोडक्शन पर भी रोक लगा दी थी।
अब इस पूरे प्रकरण में कहीं पर भी ना तो ड्रग डिपार्टमेंट पर सवालिया निशान लगता है और ना ही दवा निर्माता पर। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के फार्मा हबको पूरे देश में शक की नजर से देखा गया। जबकि नियमानुसार केवल मार्केटिड बाय को छोड़कर कहीं पर भी दवा निर्माण करने वाले उद्योगपति संदेह के दायरे में नहीं आते हैं।
जाहिर है दवा उपचार के लिए बनाई गई थी अब जब इसका दुरुपयोग नशे के लिए किया गया हो तो जांच और कार्यवाही दवा निर्माण का ऑर्डर करने वाली फार्म पर पहले बनती है। बावजूद इसके जहां केवल जांच के दायरे में आई दवा के निर्माण को फिलहाल बंद किया जाना था उसकी जगह अन्य दवाओं का निर्माण भी रुक गया है।
बरहाल ड्रग व एस एनसीसी इन विशेष दवाओं के निर्माण करने वाली तमाम फार्मा उद्योगों की लगातार जांच कर रहा है। देखना यह होगा कि क्या इस जांच में दवा निर्माण पर सवालिया निशान लगते हैं या फिर विभाग की कार्यप्रणाली पर।