मेलबन :
आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने चीन में करीब 130 लोगों की जान ले चुके और हजारों लोगों को संक्रमित कर चुके कोरोना वायरस को एक प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक विकसित करने का दावा किया है। चीन के बाहर ऐसा पहली बार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण कामयाबी से इस जानलेवा वायरस से लडऩे में मदद मिल सकती है।
पीटर डोहेर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन ऐंड इम्युनिटी के शोधार्थियों ने कहा कि इस सफलता से विश्व भर में वायरस की सटीक जांच करने और उसका इलाज ढूंढने में मदद मिलेगी। यह संस्थान मेलबर्न विश्वविद्यालय और रॉयल मेलबर्न अस्पताल का संयुक्त उपक्रम है। द रॉयल मेलबर्न अस्पताल के जूलियन ड्रूस ने कहा, चीनी अधिकारियों ने इस अनूठे कोरोना वायरस का जीन का समूह जारी किया था, जो इस रोग की पहचान करने में मददगार है।
हालांकि, असली वायरस हमारे पास होने का मतलब है कि अब हमारे पास जांच की सभी पद्धतियों का सत्यापन करने की क्षमता है जो इस रोग के निदान में काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।प्राकृतिक वातावरण के बाहर जो वायरस विकसित किया गया है उसका इस्तेमाल प्रतिरोधी जांच विकसित करने में किए जाने की संभावना है। इससे उन मरीजों में भी वायरस का पता किया जा सकेगा जो लक्षण नजर नहीं आने के कारण खुद के संक्रमित होने की बात से अनभिज्ञ हैं।
डोहेर्टी इंस्टीट्यूट के उप निदेशक माइक कैटन ने कहा कि प्रतिरोधी जांच से हम संदिग्ध रोगियों की जांच कर पाने में सक्षम होंगे जिससे हमें इस बारे में कहीं अधिक सटीक तस्वीर पता चल सकेगी कि यह वायरस अन्य चीजों में कितना व्यापक है और इसकी वास्तविक मृत्यु दर क्या है। उन्होंने कहा, यह टीकों के प्रभाव के परीक्षण का आकलन करने में भी मददगार होगा। घातक कारोना वायरस से चीन में 132 लोगों की मौतें हुई हैं और संक्रमण के करीब 6,000 मामले दर्ज किए गए हैं।