सचिन शर्मा। देहरा
डाडासीबा के गुरनबाड़ में शनिवार (11 जुलाई) का दिन बुलबुले-ए-पहाड़ बाबा कांशी राम के पैतृक घर में श्रद्धांजलि समारोह के रूप में मनाया गया। बाबा कांशी राम के पोते विनोद की अध्यक्षता में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में क्षेत्रभर के कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। इस दौरान बाबा कांशी राम की जीवनी को याद करते हुए उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए।
बताते चलें कि बाबा कांशी राम को स्वतंत्रता सेनानी तथा क्रांतिकारी साहित्यकार व पहाड़ी गांधी के नाम से जाना जाता है। बाबा कांशी राम का जन्म 11 जुलाई, 1882 को डाडासीबा के गुरनबाड़ में हुआ था। उनके पिता का नाम लखनु राम और माता का नाम रेवती देवी था। उनके पिता लखनु राम का देहांत 1893 में ही हो गया था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के उपरांत उन्होंने महात्मा गांधी के संदेश को कविताओं व गीतों के माध्यम से पहाड़ी भाषा में प्रसारित किया। उन्होंने प्रण लिया था कि जब तक देश आजाद नहीं हो जाता, तब तक वह काले कपड़े ही धारण करेंगे। यही वजह है कि हिमाचल में उन्हें पहाड़ी गांधी के नाम से जाना जाता है। पहाड़ी कविताओं और छंदों के माध्यम से ब्रिटिश राज के खिलाफ देशभक्ति का संदेश फैलाने के लिए उन्हें 11 बार गिरफ्तार किया गया। उन्होंने अपने जीवन के लगभग 9 वर्ष विभिन्न जेलों में बिताए।
वर्ष 1937 में गद्दीवाला (होशियारपुर) में संपन्न हुए सम्मेलन में नेहरू जी ने इनकी रचनाएं सुनकर और स्वतंत्रता के प्रति इनका समर्पण देखकर इन्हें पहाड़ी गांधी कहकर संबोधित किया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी वर्ष 1984 में बाबा कांशी राम के नाम पर डाक टिकट जारी किया था।