बेंगलुरु (भाषा) कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा ने 15 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में सोमवार को 12 सीटों पर जीत दर्ज कर राज्य विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया जबकि विपक्षी कांग्रेस ने दो और निर्दलीय ने एक सीट पर जीत हासिल की। कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुंडू राव ने पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।
विधानसभा चुनाव में इन 15 सीटों में से 12 सीटें कांग्रेस के पास थीं। दोनों नेताओं ने असंतोषजनक नतीजे का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे भेज दिए। कांग्रेस केवल दो निर्वाचन क्षेत्रों हुनासुरु और शिवाजीनगर में ही जीत हासिल कर पाई। होसकोटे से निर्दलीय उम्मीदवार शरथ बच्चेगौड़ा ने जीत हासिल की। बच्चेगौड़ा को बागी के रूप में चुनाव लडऩे पर पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए इससे पहले भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली जद(एस) ने विधानसभा चुनाव के दौरान इन 15 सीटों में तीन निर्वाचन क्षेत्रों- के आर पेटे, महालक्ष्मी लेआउट और होंसुर में जीत हासिल की थी लेकिन उपचुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली। कांग्रेस और जद (एस) के 17 विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार जुलाई में गिर गई थी और इसके बाद भाजपा सत्ता में आई थी। बागी विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के कारण ए उपचुनाव कराया गया। उपचुनाव में भाजपा के 12 सीटें जीतने के बाद पार्टी के पास 117 विधायक हो गए हैं। दो सीटें रिक्त रहने के बाद 223 सदस्ईय सदन में बहुमत के लिए जरूरी 111 सीटों से अधिक सीटें भाजपा के पास हैं।
राज्य की 225 सदस्ईय विधानसभा में बहुमत के लिए भाजपा को 15 सीटों में कम से कम छह सीटों पर जीत की जरूरत थी। उच्च न्यायालय में मामले लंबित रहने के कारण दो सीटें – मास्की और आर के नगर अभी भी रिक्त हैं। मुख्यमंत्री बी एस एदियुरप्पा ने 29 जुलाई को विश्वासमत जीत लिया था। उस समय सदन के सदस्यों की संख्या घटकर 208 रह गई थी। इस तरह बहुमत की संख्या 105 थी। विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने के बाद भाजपा के पास इतनी ही संख्या थी।
विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के बाद विधानसभा में भाजपा के पास 105 (एक निर्दलीय सहित), कांग्रेस के 66 और जद (एस) के 34 विधायक थे। बसपा का भी एक विधायक है। इसके अलावा एक मनोनीत विधायक और विधानसभा अध्यक्ष हैं। जीत हासिल करने वाले भाजपा के 12 उम्मीदवारों में अरबैल शिवराम हेब्बार (एल्लापुर), नारायण गौड़ा (के आर पेटे), बी सी पाटिल (हीरेकेरूर), श्रीमंत पाटिल (कगवाड), महेश कुमथल्ली (अथानी), के सुधाकर (चिकबल्लापुर), के गोपालैया (महालक्ष्मी ले आउट), आनंद सिंह (विजयनगर), रमेश जारकिहोली (गोकक), अरूण कुमार गुट्टूर (राणेबेन्नूर), एस टी सोमशेखर (यशवंतपुर) और बेराठी बसवराज (के आर पुरम) हैं।
कांग्रेस के उम्मीदवार रिजवान अरशद (शिवाजीनगर) और एच पी मंजूनाथ (हुनासुरु) ने जीत हासिल की। प्रचार अभियान के दौरान भाजपा ने स्थिरता और विकास के नाम पर वोट मांगे जबकि कांग्रेस और जद (एस) को भरोसा था कि दल बदलने वालों को जनता सबक सिखाएगी। भाजपा ने अयोग्य करार दिए गए 16 विधायकों में 13 को मैदान में उतारा। उनमें से 11 ने जीत हासिल की।
भारतीय जनता पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद खुश एदियुरप्पा ने सोमवार को कहा कि वह अपने कार्यकाल के बचे समय में स्थिर और विकास को समर्पित सरकार देंगे। एदियुरप्पा के जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार करने की संभावना है। मुख्यमंत्री के साथ कैबिनेट में फिलहाल 18 मंत्री हैं जबकि राज्य में कुल 34 मंत्री हो सकते हैं।